बिहार: हादसे में घायल को भर्ती कराने वाले से पैसे नहीं लेंगे अस्पताल, लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई
बिहार में अब दुर्घटना या अन्य किसी भी कारण से जख्मी हुए व्यक्ति को इलाज के लिए भर्ती कराने वाले शख्स से संबंधित अस्पताल निबंधन शुल्क या इलाज के लिए पैसों की मांग नहीं करेगा। यह व्यवस्था सरकारी और निजी दोनों तरह के अस्पतालों पर लागू होगी। निबंधन शुल्क और प्रवेश शुल्क की मांग तभी हो सकती है, जब जख्मी व्यक्ति को लाने वाला उसका संबंधी या रिश्तेदार हो। इस नियम में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने सोमवार को सभी सिविल सर्जन, सभी चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल के अधीक्षक व प्राचार्य, सभी निजी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, सभी निजी असपताल और चैरिटेबल अस्पताल को पत्र भेजा है। सड़क दुर्घटना के आंकड़े एचएमआईएस पोर्टल पर अंकित करने के साथ ही अस्पताल लाने वाले व्यक्ति की सूची भी hsscellshsb@ gmail.com पर भेजने के लिए कहा गया है।
पत्र में कहा गया है कि सभी सरकारी या निजी अस्पतालों को अपने भवन के मुख्य द्वार पर नोटिस बोर्ड पर हिन्दी, अंग्रेजी या स्थानीय भाषा में जख्मी व्यक्ति के त्वरित इलाज की सूचना देनी है। साथ ही इसमें जख्मी व्यक्ति को लाने वाले व्यक्ति से इलाज के नाम पर रजिस्ट्रेशन शुल्क और प्रवेश शुल्क नहीं लेने का भी जिक्र रहना चाहिए। जख्मी व्यक्ति को लाने वाले व्यक्ति को पावती (यदि लाने वाला व्यक्ति इच्छुक हो तो) दी जा सकती है।
यह भी कहा गया है कि अस्पताल के सभी नियमित चिकित्सक या कर्मी को प्रशिक्षण देना आवश्यक है, ताकि जख्मी व्यक्ति के त्वरित इलाज में कोई कमी या लापरवाही नहीं हो। अस्पताल प्रशासन द्वारा जख्मी व्यक्ति के त्वरित इलाज के लिए एक आकस्मिक समिति का गठन प्रमुख चिकित्सक की अध्यक्षता में किया जाए, ताकि इस सबंध में सभी बिंदुओं और मार्गदर्शन का पालन हो सके।
निदेशक ने चेतावनी भी दी है कि जख्मी व्यक्ति के इलाज में कोताही या लापरवाही बरतने वाले चिकित्सक पर कार्रवाई की जाएगी। इलाज में लापरवाही को भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम 2002 के अध्याय 7 के तहत व्यावसायिक लापरवाही माना जाएगा।