कौन हैं पटना में SDM पद पर तैनात IAS श्रीकांत कुंडलिक खांडेकर? जिन पर पुलिसवाले ने चला दी लाठी
आरक्षण के मुद्दे को लेकर पटना में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर नोकझोंक हुई. इन दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज भी किया. सड़क पर हो रहे प्रदर्शन के कारण यातायात बाधित हो गया था, जिसे हटाने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा. इस दौरान पटना एसडीएम श्रीकांत कुंडलिक खांडेकर पर भी पुलिस की लाठी चली. हालांकि पुलिस ने गलती से एसडीएम पर लाठी चला थी. ऐसे में आइए जानते हैं कि पटना एसडीएम श्रीकांत कुंडलिक खांडेकर किस बैच के अधिकारी हैं और उन्होंने कहां से पढ़ाई लिखाई की है.
श्रीकांत खांडेकर 2020 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. बिहार के नालंदा में असिस्टेंट कलेक्टर (अंडर ट्रेनिंग) के पद पर नियुक्त किया गया था. मसूरी में फेज 1- ट्रेनिंग प्रोग्राम के पूरा होने के बाद 2020 में उनकी नियुक्ति की गई थी. वह मौजूदा समय में पटना में एसडीएम पद पर कार्यरत हैं.
पहले प्रयास में क्रैक किया UPSC
श्रीकांत खांडेकर ने अपने पहले प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और आल इंडिया 33वीं रैंक प्राप्त की थी. वह महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के मंगलवेढ़ा के बाबची गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता अशिक्षित हैं, लेकिन उन्होंने श्रीकांत की पढ़ाई के लिए तीन एकड़ जमीन बेच दी थी. उनका सपना था कि वह नहीं पढ़ पाए,लेकिन उनके बच्चे पढ़ाई में आगे रहें.
कहां से की पढ़ाई?
श्रीकांत की शुरुआती पढ़ाई गांव के जिला परिषद स्कूल में हुई है. निंबोनी इंग्लिश स्कूल में माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने सोलापुर से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने दापोली कृषि विश्वविद्यालय में कृषि इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी. इस दौरान आईआईटी के लिए भी उनका चयन हुआ था, लेकिन उन्होंने आईआईटी में जाने के स्थान पर यूपीएससी सीएसई परीक्षा देने का फैसला किया.
18 महीने की तैयारी में क्रैक किया यूपीएससी
श्रीकांत ने एक साल तक पुणे में पढ़ाई की फिर उन्होंने छह महीने दिल्ली में रहकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की. अपने पहले प्रयास में ही उन्हें 33वीं रैंक से परीक्षा पास की. उन्होंने ओबीसी कैटेगरी में राज्य से दूसरा स्थान हासिल किया था.
इस किताब ने बना दिया IAS
वह किसान पृष्ठभूमि से हैं और जब 12वीं में थे तो उन्होंने राज मित्र नाम की एक किताब पढ़ी थी, जिसमें सिविल सेवा की कई कहानियां थीं और उनमें से कई आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से थीं. उन्होंने 12वीं कक्षा में ही तय कर लिया था कि उन्हें आईएएस बनना है.