बिहार के शिक्षकों को दशहरा से पहले मिलेगा वेतन, शिक्षा विभाग ने जारी किए 2650 करोड़
बिहार के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, कर्मचारियों और सेवानिवृत्त लोगों को जल्द ही त्योहारों से पहले उनका वेतन और पेंशन मिलेगा। शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के लिए 2650 करोड़ 17 लाख रुपये जारी किए हैं। यह पैसा जुलाई से सितंबर तक के वेतन और पेंशन के लिए है। अतिथि शिक्षकों को भी उनका मानदेय मिलेगा। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार के निर्देश पर उच्च शिक्षा निदेशालय ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है।
फरवरी 2025 तक के वेतन राशि मंजूर
शिक्षा विभाग ने फरवरी 2025 तक के वेतन और पेंशन के लिए यह राशि मंजूर की है। इससे पहले विभाग ने विश्वविद्यालयों के बजट की समीक्षा की थी और कुछ समय के लिए अनुदान रोक दिया था। इस वजह से शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा था। लेकिन अब अगले हफ्ते तक सभी को वेतन और पेंशन मिलने की उम्मीद है। शिक्षा विभाग के मुताबिक, 2650 करोड़ 17 लाख रुपये में से 994 करोड़ 21 लाख रुपये शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन के लिए हैं। 140 करोड़ 68 लाख रुपये अतिथि शिक्षकों के मानदेय के लिए और 1515 करोड़ 28 लाख रुपये सेवांत लाभ के लिए रखे गए हैं।
सरकार ने महालेखाकार को दी जानकारी
सरकार के उप सचिव अमित कुमार पुष्पक ने शुक्रवार को महालेखाकार को इसकी आधिकारिक जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि पटना विश्वविद्यालय को 179 करोड़ 55 लाख रुपये, मगध विश्वविद्यालय को 389 करोड़ 80 लाख रुपये, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय को 376 करोड़ 66 लाख रुपये और जयप्रकाश विश्वविद्यालय को 152 करोड़ 18 लाख रुपये मिलेंगे। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय को 208 करोड़ 35 लाख रुपये, बीएन मंडल विश्वविद्यालय को 174 करोड़ 11 लाख रुपये, तिलक मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को 189 करोड़ 86 लाख रुपये और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को 389 करोड़ 81 लाख रुपये दिए जाएंगे।
इस कारण नहीं मिल रहा था वेतन
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय को 195 करोड़ 21 लाख रुपये और मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विश्वविद्यालय को 7 करोड़ 37 लाख रुपये मिलेंगे। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय को 257 करोड़ 26 लाख रुपये, पूर्णिया विश्वविद्यालय को 68 करोड़ 99 लाख रुपये और मुंगेर विश्वविद्यालय को 61 करोड़ 03 लाख रुपये दिए जाएंगे। इससे पहले, शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के अनुदान पर रोक लगा दी थी। इससे शिक्षकों और कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा था।