महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने देसी गायों को औपचारिक रूप से ‘राज्य माता’ का दर्जा दिया है.
महाराष्ट्र कैबिनेट ने सोमवार को इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दी. कैबिनेट के निर्णय में भारतीय संस्कृति, कृषि और स्वास्थ्य सेवा में देसी गायों के महत्व की सराहना की गई.सरकार को उम्मीद है कि यह फैसला किसानों को इन गायों को पालने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिनका उपयोग पंचगव्य, पारंपरिक कृषि प्रथाओं और आयुर्वेद में किया जाता है.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक में देसी गायों के पालन-पोषण के लिए 50 रुपये प्रतिदिन की सब्सिडी योजना लागू करने का भी निर्णय लिया गया है. इसका उद्देश्य गोशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करना है. यह योजना महाराष्ट्र गोसेवा आयोग द्वारा ऑनलाइन लागू की जाएगी और प्रत्येक जिले में एक जिला गोशाला सत्यापन समिति बनाई जाएगी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा हस्ताक्षरित एक सरकारी प्रस्ताव के माध्यम से यह घोषणा की गई. प्रस्ताव में राज्यपाल ने कहा है, “गायें प्राचीन काल से ही मानव जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं. गाय को उसके ऐतिहासिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण लंबे समय से ‘कामधेनु’ के रूप में वर्णित किया जाता रहा है.” उन्होंने आगे कहा कि देश भर में गायों की विभिन्न नस्लें मौजूद हैं, लेकिन देसी गायों की संख्या चिंताजनक दर से घट रही है.
देवेंद्र फडणवीस का बयान
सरकार के फैसले पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि देसी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं. इसलिए हमने इन गायों को ‘राज्य माता’ दर्जा देने का फैसला किया है. हमने गोशालाओं में देसी गायों के पालन-पोषण के लिए भी आर्थिक मदद देने का फैसला किया है.
राज्य के मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने कहा कि सरकार ने महाराष्ट्र में गोसेवा आयोग के साथ पंजीकृत गोशालाओं में देसी गायों के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया है. इससे महाराष्ट्र में देसी गायों के संरक्षण और पालन-पोषण को बढ़ावा मिलेगा. गोशालाएं भी ठीक से काम कर पाएंगी.
महाराष्ट्र में गायों की कई देसी नस्लें पाई जाती हैं. लेकिन इन देसी गायों की संख्या में तेजी से गिरावट हो रही है, जिसको लेकर राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया.
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