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‘…तो कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा भी रोकें’, असम विधानसभा में नमाज की छुट्टी रद्द होने पर बोले JDU नेता

असम विधानसभा ने 30 अगस्त, 2024 को ब्रिटिश-युग के उस नियम को समाप्त कर दिया, जिसके अंतर्गत सदन के मुस्लिम सदस्यों को शुक्रवार के दिन नमाज अदा करने के लिए दो घंटे का ब्रेक लेने की अनुमति मिलती थी. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इसे ऐतिहासिक निर्णय बताया. उन्होंने असम विधानसभा के स्पीकर बिस्वजीत दैमारी और विधायकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि सदन ने औपनिवेशिक काल के इस बोझ को त्यागकर उत्पादकता को प्राथमिकता दी है. उन्होंने कहा कि यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई थी.

असम के मुख्यमंत्री भले ही इस निर्णय को ऐतिहासिक बता रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी के सहयोगी दलों ने इस फैसले की आलोचना की है. जदयू नेता नीरज कुमार ने कहा, ‘असम सरकार का यह फैसला संविधान के मानकों के खिलाफ है. सभी धर्मों को अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवित रखने का अधिकार है. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा कहते हैं कि इससे सदन की कार्य क्षमता बढ़ेगी. तब मैं उनसे कहना चाहूंगा कि कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा पर भी रोक लगाएं. किसी को भी धार्मिक प्रथाओं पर हमला करने का अधिकार नहीं है. बेहतर होता कि मुख्यमंत्री अपना ध्यान लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित करते कि असम को बाढ़ का सामना न करना पड़े.’

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काम के समय छुट्टी लेकर पूजा भी ठीक नहीं: संतोष सुमन

बीजेपी के एक और सहयोगी जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा के नेता संतोष सुमन ने असम सरकार के फैसले का बचाव किया है. उन्होंने कहा, ‘हमारा देश सेक्यूलर है. संविधान सभी का सम्मान करता है. हर इंसान को आजादी है कि अपने हिसाब से पूजा पद्धती का पालन करे. देश में एक सिस्टम है. अगर सदियों से चीजें चली आ रही हैं तो हम कैसे रोक लेंगे? लेकिन काम के समय के बाद भी अगर पूजा करेंगे तो अल्लाह और भगवान हमारी बात सुनेंगे. सभी को हक है कि वह अपने धर्म को माने. लेकिन काम के समय छुट्टी लेकर पूजा करना भी ठीक नहीं.’

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योगी का चीनी वर्जन बनने की कोशिश में हिमंता: तेजस्वी

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए ये सब कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘योगी का चीनी वर्जन बनने की कोशिश में, असम के मुख्यमंत्री जानबूझकर मुसलमानों को परेशान करने वाले काम करते रहते हैं. देश की आजादी में आरएसएस को छोड़कर सभी धर्मों के लोग शामिल थे. देश को आजादी दिलाने में हमारे मुस्लिम भाइयों ने बलिदान दिया है और जब तक हम यहां हैं, उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.’

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हमारी सरकार आने दो, यह बदल जाएगा: फारूक अब्दुल्ला

इस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा, ‘यह देश अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है. हमारे पास हर धर्म और हर भाषा है, चाहे वह तमिलनाडु हो, कश्मीर हो, बंगाल हो या महाराष्ट्र. कोई भी राज्य हो, हर राज्य की एक अलग संस्कृति होती है और इसीलिए भारत एक संघीय ढांचा है और हमें हर धर्म की रक्षा करनी है. कुछ भी स्थाई नहीं है, समय आने पर यह बदल जाएगा. हमारी सरकार आने दो, अच्छी चीजें फिर से लागू होंगी. हम उनसे कहेंगे कि ऐसी हरकतें मत करो. हमें हर धर्म के लोगों का ख्याल रखना होगा.’ इसके विपरीत, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि यह हिंदू और मुस्लिम विधायकों के बीच आम सहमति से लिया गया.

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