बिहार: बाहुबली ‘मंत्री’ की भारी सुरक्षा के बाद भी AK-47 से भून दिया गया था, अधिकांश सुरक्षा कर्मी भाग खड़े हुए थे
देश की सबसे बड़ी अदालत ने आज गुरुवार को राबड़ी राज में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद की हत्या मामले में बाहुबली पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी ठहराया है. जबकि पूर्व सांसद सूरज भान सिंह समेत 6 आरोपियों को बरी कर दिया. दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. निचली अदालत ने वर्ष 2009 में आठ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी लेकिन पटना हाई कोर्ट ने बृजबिहारी हत्याकांड के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. पटना हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ बृजबिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी और सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने 21 और 22 अगस्त को सुनवाई पूरी करते हुए आदेश को सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने आज यह फैसला सुनाया है.
13 जून 1998 को मंत्री बृजबिहारी को एक-47 से भून दिया गया था
13 जून 1998 का दिन.पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस में सुरक्षा के पुख्ता घेरे के बीच पूर्वांचल के डॉन रहे श्री प्रकाश शुक्ला ने एके- 47 से गोलियां बरसाकर राबड़ी मंत्रिमंडल में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद को भून डाला था. दरअसल, वर्चस्व को लेकर बृज बिहारी प्रसाद की मुजफ्फरपुर में बाहुबलियों से भिड़ंत हो गई थी. लिहाजा उनके कई दुश्मन बन गए थे. जिनमें छोटन शुक्ला जैसे बाहुबली भी शामिल थे. दुश्मनी ऐसी बढ़ी की दोनों के बीच लाश गिरने का सिलसिला शुरू हो गया. पहले छोटन शुक्ला ने बृज बिहारी को दर्द दिया फिर बृज बिहारी ने छोटन शुक्ला को. 4 नवंबर1994 को बाहुबली छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई. जिसका आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगा. इसके बाद छोटन शुक्ला के भाई भुटकुन शुक्ला ने कमान संभाली और बृज बिहारी प्रसाद के खास ओंकार सिंह की हत्या कर दी. हालांकि कुछ दिनों बाद ही भुटकुन शुक्ला का भी मर्डर हो गया. इस तरह से विवाद चरम पर पहुंच गया. छोटन शुक्ला और भुटकुन शुक्ला की हत्या के बाद बृजबिहारी प्रसाद का दबदबा बढ़ गया. तब छोटन शुक्ला के भाई मुन्ना शुक्ला ने अपने परिवार को संभाला और कदम आगे बढ़ाया.
बता दें, 1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री थे .मुजफ्फरपुर के भुटकुन शुक्ला की हत्या हुई थी. इसके बाद इन पर खतरा और भी बढ़ गया था. इसी बीच 1998 में एडमिशन घोटाले में बृज बिहारी प्रसाद गिरफ्तार हो गए. बृज बिहारी प्रसाद अपनी गिरफ्तारी के बाद सीने में दर्द होने की बात कह कर खुद को पटना के आईजीआईएमएस में भर्ती करा लिया. पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच बृज बिहारी अस्पताल में भर्ती रहे. लालू प्रसाद के करीबी होने की वजह से बृज बिहारी का रुतबा भी जबरदस्त था. उनको खुद भी खतरे का अंदेशा था. 13 जून 1998 को पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सुरक्षा के भारी इंतजाम के बीच टहल रहे थे. अगल-बगल में हथियारबंद पुलिसकर्मियों का भारी पहरा था. इसी बीच एक लाल बत्ती लगी कार में यूपी का डॉन श्री प्रकाश शुक्ला अपने तीन साथियों के साथ घुसा. इसके बाद बृज बिहारी प्रसाद पर एक.के- 47 से गोलियों से बरसात कर फरार हो गया. एक-47 की तड़तड़ाहट से आईजीआईएमएस में हड़कंप मच गया था. मंत्री की हत्या से न सिर्फ बिहार बल्कि देश में चर्चा का विषय बन गया था. हालांकि कुछ समय बाद गाजियाबाद में उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने शुक्ला को एक एनकाउंटर में मार गिराया था. मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के बाद मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी वहां पहुंची थी. बता दें, बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी बाद में राबड़ी मंत्रिमंडल में मंत्री बनीं. भाजपा के टिकट पर शिवहर से 2009 से 2024 तक सांसद रहीं.
देवेन्द्र दूबे की भी हुई थी हत्या..आरोप बृजबिहारी पर लगा था
बृज बिहारी प्रसाद का एक और बाहुबली से दुश्मनी बढ़ गई थी. देवेंद्र दुबे और बृजबिहारी एक-दूसरे के खून के प्यासे बन गए थे. देवेन्द्र दुबे गोविंदगंज से विस चुनाव जीतने के बाद जेल से बाहर आए. 25 फरवरी 1998 को अरेराज लौटने के दौरान देवेंद्र दुबे को घेर कर एक-47 से छलनी कर दिया गया था. उनकी हत्या का पूरा आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगा था. उस समय बृज बिहारी प्रसाद ऊर्जा मंत्री थे. देवेंद्र दुबे की हत्या के बाद उनका भतीजा मंटू तिवारी जो अंडरवर्ल्ड में अपनी एक अलग पहचान बन चुका था. उसने ऐलान कर दिया कि जब तक वह देवेंद्र दुबे की हत्या का बदला नहीं ले लेगा तब तक शादी नहीं करेगा.