इत्मीनान रहें, अगर आपके नाम से पुश्तैनी जमीन की जमाबंदी नहीं है, तब भी वह जमीन आपकी ही रहेगी। आप अपने हिस्से की जमीन का पूरा ब्योरा अपने शिविर में जाकर आवेदन के साथ दें। इसके साथ ही स्वघोषणा पत्र में वंशावली, बंटवारा व अन्य कागजात भी पेश करें। भू-सर्वेक्षण के कर्मी आपके आवेदन पर उस जमीन का भौतिक सत्यापन करेंगे। इसमें विवाद नहीं रहने पर उस जमीन की जमाबंदी आपके नाम से कायम कर दी जाएगी।
इसके लिए आपतक वह जमीन कैसे आयी, इसका प्रमाण देना या बताना होगा। नालंदा के करायपरसुराय मुख्यालय के मैदान में जनसंवाद कार्यक्रम में एसडीओ प्रवीण कुमार ने कहा कि रैयत अफवाहों पर ध्यान न दें। बस आप अपनी जमीन के स्वामित्व होने का प्रमाण दें। अगर आपके पास कागजात की कमी है, तो याद्दाश्त के आधार पर आपके कब्जे वाली जमीन की जमाबंदी कायम कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा की रैयत को किसी प्रकार का परेशानी है, तो सीधे अपने सम्बन्धित कर्मचारी या भूसर्वेक्षण शिविर में जाकर जानकारी और मदद ले सकते है। भूमि संबंधित अपनी गड़बड़ियों के सुधार के लिए परिमार्जन प्लस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करें। उन्होंने कहा कि हमारे पास हर प्लॉट का पूरा ब्योरा उपलब्ध है। पूरी जमीन की जानकारी ऑनलाइन हो चुकी है। इसे आप अपने मोबाइल पर भी देख सकते हैं। इसमें अधिकारियों ने किसानों व रैयतों के सवालों के जवाब भी दिए।
भू-सर्वेक्षण के दौरान बहुत सी जमीन बकाश्त मालिक मिल रही है। वैसे रैयत न घबराएं। यह जमीन आपके नाम ही रहेगी। कुछ तकनीकी कारणों से थोड़े समय के लिए इसकी बिक्री या दाखिलखारिज पर रोक अवश्य लगायी गयी है। लेकिन, भू-सर्वेक्षण के दौरान इस तरह की जमीनों का भी सर्वे किया जाएगा। इसे लेकर बाजार में बहुत तरह की चर्चाएं चल रही हैं। उनपर ध्यान न दें। हिलसा डीसीएलआर राजन कुमार ने कहा कि बकाश्त जमीन का रैयतीकारण किया जा रहा है। जमीन का जरूरी दस्तावेज देना होगा।
शिविर में अपना आवेदन जमा करने के बाद उसकी प्राप्ति रसीद अवश्य अपने पास सुरक्षित रखें। ताकि, आगे आप उसके आधार पर अपनी बातों को रख सकें। अपने जमीन का खाता, खसरा व रकबा को अच्छी तरह से भरें। साथ ही खेत की चौहद्दी को अच्छी तरह से भरें। उसी के आधार पर भूसर्वेक्षण कर्मी खेतों पर जाकर उसका सत्यापन करेंगे। इसकी वे पूरी रिपोर्ट कलमबद्ध करेंगे। इसे याद्दाश्त के दौरान सबके सामने रखा जाएगा। वहां से सत्यापन होने के बाद आगे की प्रक्रिया होगी। बाद में अगर सर्वे में किसी तरह की गड़बड़ी रहती है, तो उसे सुधारने का भी मौका मिलेगा। रैयत साक्ष्य के साथ अपनी बातों को शिविर में जाकर बताएंगे। उसके आधार पर उसे सुधार दिया जाएगा।
अगर रैयत ने किसी जमीन की खरीद की है और उसी के नाम से जमाबंदी कायम है। तो उन्हें किसी भी तरह की वंशावली या बंटवारा चार्ट नहीं देना है। लेकिन, अगर उस जमीन को आपके दादा, माता, पिता या अन्य ने खरीदी है, तब आपको वंशावली के साथ ही बंटवारा संबंधित कागजात भी आवेदन के साथ देना होगा। वहीं पुश्तैनी जमीन का पूरा ब्योरा आपको आवेदन के साथ हर हाल में पेश करना होगा।
शिविर में आए किसान अशोक कुमार सिंह ने कहा कि वंशावली में बहन बेटी को नाम देना क्या जरूरी है। ऐसे में क्या वह जमीन की पार्टी बन जाएगी। नोडल पदाधिकर ने कहा की वंशावली में बहन बेटी का जिक्र करना जरूरी है। अब बहन बेटी को जमीन का पार्टी नहीं बनाना है, तो बहन बेटी को लिखित रूप से शिविर में आकर जमीन का पार्टी नहीं बनने का प्रमाण देना होगा।
किसान साबिर हुसैन ने कहा कि मेरी जमाबंदी लॉक है। खाता खसरा का सुधार नहीं हो रहा है, क्या करें। इस पर अधिकारी मंच पर उपस्थित नहीं थे। ऐसे में इस सवाल का जवाब नहीं मिला। हालांकि, अन्य अधिकारी ने कहा कि इसके लिए आपको सीओ से मिलना होगा। वे ही इस तरह के मामले के लिए सक्षम अधिकारी हैं।
किसान अयोध्या प्रसाद ने कहा कि हुजूर मेरे पास जो भी जमीन का दतावेज था, पूर्व में ही घर से चोरी हो गया है। जवाब में नोडल पदाधिकरी ने कहा कि 1945 से अब तक सारा जमीन का दस्ताबेज ऑनलाइन देख सकते हैं। इसका कोई असर सर्वेक्षण पर नहीं पड़ेगा। ऑनलाइन माध्यम से कागजात निकाले जा सकते हैं।
किसान राजकिशोर प्रसाद ने कहा कि मेरी जमीन खरीद के 40 साल हो चुके हैं। अब तक दाखिल खारिज नहीं हुआ है, क्या करें। अधिकारी ने कहा कि 20 साल से अधिक पुराने जमीन की दाखिलखारिज नहीं हुई है, तो इसके लिए जमीन की दस्तावेज के साथ आवेदन लगाकर भूमि उप समाहर्ता को देना होगा। जांच के बाद सही रहने पर जमीन आपके नाम कर दी जाएगी।
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