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अब बिहार में सीएनजी और सोलर से नाव चलेंगे, ये फायदे; क्या है हरित नौका योजना?

अब बिहार की नदियों और जलाशयों में सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) और सोलर ऊर्जा से नाव चलेगी। हरित नौका योजना से नदियों को परंपरागत पेट्रो कैमिकल से बचाने की कवायद तेज हो गई है। इसको लेकर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने बिहार सरकार को मंत्रालय के निर्देश की याद दिलाई है। दरअसल, सागरमाला परियोजना के अधीन वर्तमान नौकाओं को हरित इंजन में तब्दील किए जाने की तैयारी शुरू हो गई है।

कुछ माह पहले ही पतन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसएंडडब्ल्यू) ने राज्य सरकार को योजना की जानकारी दी थी और कहा था कि जितनी नौकाएं डीजल इंजन पर चल रही हैं। उन्हें सीएनजी या सोलर में तब्दील करते हुए परिचालन कराएं।

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पेट्रो कैमिकल के उपयोग से नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। डीजल इंजन चलने से निकले धुआं से भी जलीय जीवों पर खतरा मंडराता रहा है। अब मुख्य सचिव ने परिवहन विभाग को हरित योजना को सफल कराने का जिम्मा दिया है। इसको लेकर सभी डीएम को निर्देश दिया गया है कि वे अपने जिले में डीजल इंजन से चल रही नौकाओं का आंकड़ा भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण को अविलंब उपलब्ध कराएं।

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हरित नौका योजना को समझें

जलमार्ग मंत्रालय ने इसी साल चार जनवरी को हरित नौका योजना को लेकर राज्यों को दिशा निर्देश जारी किया था। इसमें 2047 तक देश में हरित वाहनों की बहुलता के उद्देश्य से छह माह के अंदर लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कार्ययोजना तैयार करने को कहा है। वर्ष 2030 तक जलमार्ग आधारित यात्री परिवहन के वर्तमान स्तर से कार्बन तीव्रता को 30 प्रतिशत और 2047 तक 70 प्रतिशत कम करना है। कार्बन तीव्रता कम होने के बाद नदियों में वायु प्रदूषण की मात्रा काफी कम हो जाएगी।

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