बिहार के इन दो गांव में एक दिन पहले ही मनाई गई दीपावली! लोगों ने जलाए दीपक, फोड़े पटाखे, जानिए वजह
बिहार सहित देशभर में इस बार दीपावली मनाने को लेकर कन्फ्यूजन है। देश में कुछ लोग 31 अक्टूबर तो कुछ लोग 1 नवंबर को दीपावली मनाएंगे।लेकिन दरभंगा जिले के बेनीपुर अनुमंडल के नवादा और पघारी गांव में दीपों का पर्व दीपावली एक दिन पहले ही मनाया गया है। इन गांव मेंएक दिन पहले दीपावली मनाने की परम्परा रही है। यहां के लोग जब देश के लोग दीवाली मनाते है, उससे एक दिन पहले ही दिवाली मना ली जाती रही है। इन दोनों गांवों में बुधवार को ही दीपावली का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
नवादा और पघारी गांव में एक दिन पहले मनाई गई दीपावली
दोनों गांव रंग-बिरंगे बिजली के बल्ब की रोशनी और दीपों के प्रकाश में जगमगा गए। छोटे-छोटे बच्चों ने फुलझरिया, पटाखा फोड़ कर खुशी मना मनाई। बुजुर्ग अपने-अपने घर के भगवती के पास से उक्का लेकर लक्ष्मी माता को घर आने और दरिद्रा को बाहर जाने का मंत्रोचार के साथ आवाहन करते नजर आए। गृहणी उपवास कर लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना करने में लगी थीं।
बहेड़ी प्रखंड क्षेत्र के पघारी गांव में बुधवार को दिवाली मनाई गई। इस गांव में परंपरानुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ही दिवाली मनाई जाती है जबकि लक्ष्मी पूजा गुरुवार को की जाएगी। इस दिन गांव के लोग सभी मंदिरों व सार्वजनिक पूजा स्थलों पर सर्वप्रथम दीप जलाते है। बाद में अपने अपने घरों की कुलदेवी के आगे दीप जलाकर दीपावली का शुभारम्भ करते हैं।
गांव में एक दिन पहले दिवाली मनाने की ये है मान्यता
स्थानीय निवासी बबलू झा बताते हैं कि इस मंदिर में कभी दरभंगा राज के महाराजा साधना करते थे। उनके साथ विद्वान और नेपाल के साधक भी आते थे। कहा जाता है कि दरभंगा महाराजा नवादा भगवती के परम भक्त थे। एक बार दिवाली से एक दिन पहले मंदिर में अपने आप दीप जल उठे। फिर मां ने ग्रामीणों को सपने में आकर कहा कि नवादा गांव के लोग आज ही दिवाली मनाएं। तब से यह परम्परा चली आ रही है।
गांव के बुजुर्ग अनंत कुमार झा बताते हैं कि उनके पूर्वज जिस तरह इस परम्परा को निभाते थे, वे भी उसी उत्साह से एक दिन पहले दिवाली मनाते हैं। इसलिए हम लोग भी उल्लास के साथ एक दिन पहले ही दिवाली मनाते हैं।
हमारे गांव वर्षों से एक दिन पहले दिवाली मनाने की परंपरा रही: शिप्रा
छह वर्ष बाद अपने मायके में दिवाली मना रही शिप्रा ने कहा कि हमारे गांव वर्षों से एक दिन पहले दिवाली मनाने की परंपरा रही है। वह शादी के इस चीज को मिस कर रही थीं। इस वर्ष वह इस मौके पर गांव मौजूद होकर परिवार वालों के साथ खुशियां मना रही हैं।