तेजस्वी यादव पर आय घोटाला का आरोप, JDU ने चुनाव आयोग से कहा- छीन लीजिए विधायिकी
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव पर आय घोटाला करने का आरोप लगाया है और चुनाव आयोग से उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की है। सोमवार को जेडीयू के प्रवक्ताओं ने कहा था कि पांच साल में 89 लाख रुपये कमाने वाले तेजस्वी ने इस दौरान 4 करोड़ रुपये का कर्ज लोगों को दिया है। जेडीयू ने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के हलफनामों के आधार पर आरोप लगाया है। बिहार में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान से पहले जेडीयू ने तेजस्वी की आक्रामक घेराबंदी शुरू कर दी है।
जेडीयू के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को निर्वाचन आयोग से मिला और विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की विधानसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की। पार्टी ने बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कहा कि लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 123 (2) के तहत तेजस्वी द्वारा वेतन अथवा आय के घोटाला के मामले में निर्वाचन आयोग कार्रवाई करे। जेडीयू शिष्टमंडल में पूर्व सांसद अनिल हेगड़े, प्रवक्ता नीरज कुमार आदि शामिल थे। चुनाव अधिकारियों से मुलाकात के बाद नीरज कुमार ने कहा कि आयोग ने भरोसा दिया है कि वो तथ्यों की जांच करेगा।
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार, निहोरा यादव और अरविंद निषाद ने पटना में सोमवार को मीडिया से कहा था कि तेजस्वी ने 2015 के विधानसभा चुनाव वाले शपथ पत्र में बताया था कि उनकी सालाना आय 5.60 लाख रुपये है। उस समय उन्होंने 1.13 करोड़ का कर्ज लोगों को दे रखा था। 2020 के शपथ पत्र के मुताबिक उनकी आय 2018-19 में मात्र 1.41 लाख रुपये दिखाई गई है, जो प्रत्येक महीने के हिसाब से 11812 रुपये बनता है।
जेडीयू नेताओं ने तेजस्वी यादव से पूछा था कि जब विधायकों का बेसिक वेतन 40 हजार रुपए था तब उन्होंने साल भर में इतनी कम आय कैसे दिखाई। जेडीयू ने तेजस्वी के पांच साल की घोषित आय 89.75 लाख रुपये के मुकाबले इसी समय अवधि में उनके द्वारा लोगों को 4.10 करोड़ रुपये का कर्ज देने पर भी जवाब मांगा था। अभी तक तेजस्वी यादव या आरजेडी की तरफ से जेडीयू के आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।