बिहार में बेटियों की संख्या में आई कमी, भ्रूण हत्या के खिलाफ कैंपेन का आदेश; लिंगानुपात में इन जिलों की स्थिति खराब
बिहार में महिलाओं के अनुपात में कमी आई है। राज्य सरकार ने राज्य के सभी जिलों में भ्रूणहत्या के खिलाफ अभियान चलाने का आदेश दिया है। समाज कल्याण विभाग की अपर मुख्य सचिव सह महिला एवं बाल विकास निगम की अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हरजोत कौर बम्हरा ने हाल ही में सभी जिलों के जिलाधिकारी एवं विभागीय पदाधिकारियों के साथ बैठक में महिलाओं की संख्या में घटती संख्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने हेल्थ मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस ) आंकड़ों के हवाले से बताया कि कुछ ही जिलों में प्रति हजार लिंगानुपात में सुधार हुआ है।
अधिकतर जिलों में बेटियों की संख्या में लगातार कमी हो रही है, जो चिंता का विषय है। जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने भी लिंगानुपात में कमी को लेकर वे तमाम उपाय करने के निर्देश दिये हैं, जिनसे कन्या भ्रूण की रक्षा हो सकती है। एचएमआईएस ने जो नये आंकड़े जारी किये हैं, उनके अनुसार राज्य में बेटियों की तादाद प्रति हजार 882 रह गई है, जो वर्ष 2022-23 में प्रति हजार 894 और वर्ष 2021-22 में 914 थी। लगातार, कई जिलों में बेटियों की संख्या में कमी पायी गयी है।
महिला एवं बाल विकास निगम के अनुसार मुजफ्फरपुर में प्रति हजार बेटियों की संख्या में 26 की कमी आयी है। पटना जिले में प्रति हजार बेटियों की संख्या में 27 की कमी आई है। मुजफ्फरपुर में पिछले साल लिंगानुपात 906 दर्ज किया गया था, जो इस साल घटकर 880 रह गई है। वहीं पटना में पिछले वर्ष लिंगानुपात 889 दर्ज किया गया था, जो इस साल घटकर 862 रह गई है।
महिला एवं बाल विकास निगम, पटना के निदेशक, राजीव वर्मा ने कहा कि बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ ’ योजना एवं मिशन शक्ति के तहत बेटियों की स्थिति में सुधार के लिए जागरूकता अभियान जिला, अनुमंडल एवं पंचायत स्तर पर संचालित किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से भ्रूण हत्या की रोकथाम को लेकर सतत कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता जतायी गयी है।
पूर्वी चंपारण की स्थिति चिंताजनक
जिलावार सूची के अनुसार गया में लिंगानुपात 917 से घटकर 870 हो गया है। यहां 47 अंक की गिरावट आई है। अररिया जिले के लिंगानपात में आठ, अरवल में 45, औरंगाबाद में एक, बेगूसराय में आठ, भोजपुर में 10, बक्सर में सात, दरभंगा में 12, गोपालगंज में 11, जमुई में 39, जहानाबाद में सात, कटिहार में 20, खगड़िया में 10, लखीसराय में 12, मुंगेर में 28, नालंदा में नौ, नवादा में 30, पूर्णिया में 10, सहरसा में छह, समस्तीपुर में 13, सारण में 16, शिवहर में 34, सीतामढ़ी में 23, सुपौल में तीन, वैशाली में 20 और पश्चिम चंपारण के लिंगानुपात में 11 की गिरावट आई है, यानी इन जिलों में प्रति हजार आबादी में बेटियों की इतनी संख्या घट गई है। सभी जिलों की बात करें तो सबसे अधिक गिरावट पूर्वी चंपारण में दर्ज की गई है, जहां प्रति हजार बेटियों की संख्या 908 से घटकर 870 रह गई है। यानी प्रति हजार 62 अंकों की कमी आई है।
आठ जिलों में पिछले साल से अधिक सुधार
सूबे के आठ जिले ऐसे मिले हैं, जहां प्रति हजार बेटियों की संख्या में पिछले साल की तुलना में सुधार दर्ज किया गया है। इन जिलों में भागलपुर शामिल है। भागलपुर में प्रति हजार आठ बेटियां बढ़ी हैं। पिछले साल यहां का लिंगानुपात 917 जो अब 925 हो गया है। वहीं किशनगंज में लिंगानुपात 926 से 929 हुआ है, तो मधुबनी में लिंगानुपात 815 से बढ़कर 819 हो गया है। रोहतास में भी सुधार दर्ज किया गया है, जहां लिंगानुपात 863 से बढ़कर 870 हो गया है। वहीं सीवान में लिंगानुपात में जबर्दस्त सुधार हुआ है, जहां यह आंकड़ा 857 से 881 हो गया है। कैमूर को सूबे का एकमात्र जिला बताया गया है, जहां लिंगानुपात पिछले साल के स्तर पर बना हुआ है। पिछले साल और इस साल भी कैमूर का लिंगानुपात 913 पर स्थिर है।