लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और अपने चाचा पशुपति कुमार पारस पर बड़ा जुबानी हमला किया है। चिराग ने पशुपति पारस पर एनडीए से चिटिंग करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पशुपति पारस ने गठबंधन में रहते हुए एनडीए के नेताओं को चुनाव में हराने की साजिश रची। एनडीए के कई नेताओं को इस बात का मलाल है कि लोकसभा चुनाव 2024 में उन्हें हराने के लिए काम किया। चिराग पासवान नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में फुड प्रोसेसिंग विभाग के मंत्री है। पारस को भी इसी विभाग का मंत्री बनाया गया था पर 2024 के चुनाव में उनकी पार्टी को एनडीए से एक भी सीट नहीं मिलने पर इस्तीफा दे दिया था।
हाजीपुर में मीडिया कर्मियों से बात करते हुए चिराग पारसवान ने एक बार फिर चाचा पारस पर इस बात के लिए तंज कसा कि वे एनडीए का हिस्सा थे ही नहीं तो अलग कैसे हो सकते हैं। लोजपा-रा के नेता ने कहा कि पशुपति कुमार पारस एक समय एनडीए में शामिल थे। लेकिन अपने व्यवहार से उन्होंने अपनी पार्टी को खुद अलग कर लिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में सीटों बंटवारा फाइनल होने से पहले ही उन्होंने आपत्तिजनक बातें शुरू कर दिया। केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफी देकर वे प्रधानमंत्री और पार्टी के विभिन्न नेताओं पर कुछ कुछ बोलने लगे। उसी समय उन्होंने खुद को एनडीए फोल्डर से अलग करते हुए विरोधी गठबंधन के साथ जाने की पूरी कोशिश की। खुद को मोदी के परिवार से अलग भी कर लिया और जब किसी ने नहीं अपनाया तो फिर से लौट आए।
चिराग पासवान ने कहा कि उसी घटना के बाद से चाचा को एनडीए से बाहर मान लिया गया। किसी भी बैठक या समीक्षा में उन्हें नहीं बुलाया गया। यहां तक कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर हुई बैठक में उनकी पार्टी को दूर रखा गया जबकि एनडीए के सभी घटक दलों के प्रदेश अध्यक्ष मौजूद थे। चाचा ने 2024 में हमारी पार्टी के सभी कैंडिडेट के साथ नित्यानंद राय को हराने की बात खुलकर कही।
दरअसल चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच पार्टी में टूट के बाद शुरू हुआ विवाद अभी तक समाप्त नहीं हुआ। हाजीपुर सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर खाई और चौड़ी हो गई। 2024 में दोनों ने हाजीपुर लोकसभा से चुनाव लड़ने के लिए एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयानों की बौछाड़ की। लेकिन एनडीए एलायंस में हाजीपुर समेत पांच सीटें चिराग के हिस्से में डाल दी गईं और पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं मिली।
चिराग ने पांचों सीटों पर विजय हासिल कर जब नरेंद्र मोदी की झोली में वापस किया तो उनका पॉलिटिकल कद पशुपति कुमार पारस से अचानक बहुत उपर हो गया। राज्य की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में पारस एक सीट तरारी लड़ना चाहते थे। मगर उपचुनाव से ठीक पहले सुनील पांडे रालोजपा से निकलकर भाजपा में चले गए और पार्टी ने उनके बेटे विशाल को टिकट देकर विधायक बना दिया।
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