बिहार में टीचर ट्रांसफर-पोस्टिंग पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, शिक्षकों ने दायर की थी याचिका
बिहार में सरकारी शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग अटक गई है। पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक लगा दी है। औरंगाबाद के शिक्षकों की ओर से पॉलिसी का विरोध करते हुए याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फिलहाल स्टे लगाया है।
कोर्ट ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2025 को होगी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा है कि ‘राज्य सरकार मनमाने ढंग से चॉइस ऑप्शन दे रही है। सरकार शिक्षकों को गुमराह कर रही है। नियम के तहत आवेदन नहीं लिया जा रहा है।’ दरअसल, महिला शिक्षकों के लिए पंचायत चॉइस का ऑप्शन दिया गया है, जबकि पुरुषों के लिए अनुमंडल का। जिसका विरोध हो रहा है।
बता दें कि बिहार सरकार ने शिक्षकों की ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव किया है। इसके तहत बिहार में शिक्षकों की ट्रांसफर पोस्टिंग के आवेदन लिए जा रहे थे। इस बीच 18 नवंबर 2024 को औरंगाबाद के शिक्षक नीरज पांडेय सहित कुल 13 शिक्षकों ने पॉलिसी का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
आज यानी मंगलवार को इस पर पहली सुनवाई हुई। दोनों पक्ष को सुनने के बाद जस्टिस प्रभात कुमार सिंह ने अगली सुनवाई तक के लिए ट्रांसफर पोस्टिंग को स्टे लगा दिया है।
अधिवक्ता मृत्युंजय कुमार ने शिक्षक का पक्ष रखा, जबकि सरकार की तरफ से सीनियर अधिवक्ता ललित किशोर ने पक्ष रखा है। जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की बेंच में सुनवाई चल रही है। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद शिक्षा मंत्री सुनील कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है।
1 लाख 20 हजार शिक्षकों ने किया आवेदन
अब तक 1.20 लाख शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया है। आवेदन के बाद कैटेगरी के आधार पर शिक्षकों को विभाजित किया जाना था। फिर वर्गवार पोस्टिंग की प्रक्रिया शुरू होती। ट्रांसफर-पोस्टिंग की पूरी प्रक्रिया दिसंबर में पूरी की जानी थी। क्रिसमस के अवकाश के बाद जब स्कूल खुलेगा, तो शिक्षक पोस्टिंग वाले स्कूल में सीधे पहुंचेंगे।