राज्य के ग्रामीण सड़कों की निगरानी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक से होगी। ग्रामीण कार्य विभाग मानवरहित तकनीक से न केवल ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर नजर रखेगा, बल्कि इसकी मरम्मत और जर्जरता की स्थिति की भी जानकारी हासिल कर सकेगा।
इस तकनीक की शुरुआत राज्य के दो जिले से होगी। बाद में इसे पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। इस तकनीक के लागू होने पर विभाग को हर साल लगभग 800 करोड़ की बचत होगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार राज्य के नेशनल हाईवे में इस एआई तकनीक का उपयोग हो रहा है। इसी के आधार पर विभाग ने हाजीपुर में इस तकनीक का पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उपयोग किया। इसके परिणाम सकारात्मक आए हैं।
अब विभाग ने नालंदा और समस्तीपुर में इसके उपयोग पर सहमति बनी है। अधिकतम इसमें एक करोड़ का खर्च आएगा। वित्त विभाग से मंजूरी लेने के बाद एजेंसी को दोनों जिलों की लगभग आठ हजार किलोमीटर ग्रामीण सड़कों की निगरानी का जिम्मा दे दिया जाएगा। इस तकनीक में जीपीएस लगे वाहन पर टू/थ्री डी कैमरों की मदद से ग्रामीण सड़कों के निर्माण की पूरी जानकारी ली जाएगी। मसलन सड़कों की चौड़ाई कितनी है, किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इसी तरह बनी हुई सड़कों की मरम्मत सही तरीके से हो रही है या नहीं, यह भी जानकारी मिल जाएगी, जबकि मरम्मत अवधि से बाहर की सड़कों की डीपीआर अधिक या कम तो नहीं बनाई गई है, यह जानकारी भी इस तकनीक से मिलेगी। यह तकनीक विभाग के कंट्रोल एंड कमांड सेंटर से जुड़ा होगा। सीएम सचिवालय में भी इसका एक डैशबोर्ड रहेगा। रिपोर्ट के आधार पर एजेंसी व इंजीनियरों को टास्क सौंपा जाएगा। विभाग का आदेश ससमय पूरा नहीं करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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