बिहार के सरकारी स्कूलों में अधिक वजन वाले बच्चे बढ़ गए हैं। इसे लेकर अब मध्याह्न भोजन का मेनू बदला जाएगा। प्रयोग के तौर पर रैंडमली बच्चों की हुई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) जांच में सामान्य दुबलेपन की अपेक्षा अधिक वजन वाले बच्चे ज्यादा मिले हैं। मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों के स्कूलों में बच्चों का बीएमआई टेस्ट कराया गया। पूर्णिया में सबसे ज्यादा स्कूलों में यह जांच हुई।
अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी को लेकर मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों में बच्चों के पोषण स्तर के तुलनात्मक अध्ययन का निर्देश मिला है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले हर एक बच्चे का बीएमआई टेस्ट कराया जाएगा। इसमें यूनिसेफ और स्वास्थ्य विभाग की मदद ली जाएगी। इसके तहत मध्याह्न भोजन का मेनू भी बदलेगा। इस पर मध्याह्न भोजन निदेशक को कार्रवाई का निर्देश दिया गया है।
पोषण के लिए स्थानीय साग-सब्जियों पर जोर
विभाग का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चों को अतिरिक्त पोषण की जरूरत है। ऐसे में स्कूलों में प्रतिदिन के मेनू के अलावा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध साग-सब्जियों को भी मध्याह्न भोजन योजना में जोड़ने का निर्देश दिया गया है।
इसके लिए डीईओ और डीपीओ को जिम्मेवारी दी गई है। हर महीने बीएमआई जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि इससे बच्चों के मोटापे में क्या बदलाव आया।
क्या है बीएमआई टेस्ट
बीएमआई के स्तर से पता चलेगा कि किस बच्चे को कितनी खुराक और कैसी मात्री चाहिए। हर बच्चे की जरूरत अलग-अलग होती है, जबकि स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना में एक ही तरह के भोजन सभी के लिए परोसे जाते हैं। बीएमआई के तहत वजन लंबाई के अनुपात में मापा जाता है। बीएमआई से यह भी पता चलता है कि शरीर के किस हिस्से में चर्बी जमा है। इससे यह भी पता चलता है कि बच्चे का बढ़ा हुआ वजन मोटापा है या लंबाई के हिसाब से सही है।
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