नीतीश NDA का चेहरा बने तो जन सुराज को फायदा; प्रशांत किशोर ने बताई वजह, BJP पर भी बरसे
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चुनावी रणीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए अगर नीतीश कुमार को अपना चेहरा बनाती है तो इससे जन सुराज पार्टी को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से बिहार की जनता बहुत नाराज है क्योंकि बिहार के लोग नीतीश के अफसर राज से परेशान हैं। पीके ने बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि भारतीय जनता पार्टी का हाल भी वही होगा जो 2020 के चुनाव में जदयू का हुआ था। उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजेपी चाहकर भी नीतीश कुमार के अपना नेता मानने से इनकार नहीं कर सकती।
प्रशांत किशोर ने दावा किया कि जदयू एनडीए के साथ लड़े या महागठबंधन के साथ, अगले चुनाव में उन्हें 20 सीटें भी नहीं मिलेंगी। नीतीश कुमार एक राजनैतिक बोझ बन चुके हैं जिन्हें कोई कंधा नहीं उठा सकता। यह बात बीजेपी भी जानती है कि नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए बिहार की जनता के साथ विश्वासघात किया है। उनकी नीयत में खोट है फिर भी फिर भी उन्हें ढो रही है। जन सुराज के लिए इससे बेहतर स्थिति हो ही नहीं सकती कि एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़े। नियति ने भी ऐसी व्यवस्था बना दी है जिसके चलते भाजपा के लिए मजबूरी हो गई है कि उन्हें अगला चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ना पड़ेगा। और जो भी नीतीश कुमार को चेहरा बना कर लड़ेगा उसे हार का सामना करना पड़ेगा।
प्रशांत किशोर ने बीजेपी को इस बात की चुनौती दी कि अगर भाजपा में हिम्मत है तो वो अगला चुनाव नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके लड़े। अगर ऐसा हुआ तो जो 2020 के चुनाव में जदयू के साथ हुआ, वही इस बार जदयू के साथ-साथ बीजेपी के साथ भी होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार के बच्चों की चिंता करने की बजाय भाजपा ने दिल्ली में चंद सांसदों के लालच में बिहार को नीतीश कुमार के हवाले कर दिया। जबकि बीजेपी जानती है कि नीतीश कुमार कुछ नहीं कर रहे हैं। इसलिए अगले चुनाव में जनता जदयू और बीजेपी दोनों को सबक सिखाएगी।
प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने लालू यादव के हाथों में बिहार का सौदा कर दिया ताकि उसे केंद्र में सरकार बनाए रखने के लिए कुछ सांसद मिलते रहें। उसी पैटर्न पर भारतीय जनता पार्टी भी चल रही है। बीजेपी नेताओं को यह पता है कि नीतीश कुमार बिहार के बच्चों की भलाई के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं फिर भी उन्हें सीएम की कुर्सी पर बनाए रखा है। इससे जदयू से ज्यादा बीजेपी को फेस करना पड़ेगा। जनता दोनों पार्टियों को सबक सिखाएगी।