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बिहार: किस्मत के खेल निराले… सड़क किनारे नाले में लावारिस मिली थी नवजात बच्ची, अब ‘बड़े घर’ में पलेगी

जन्म देने के बाद जिस मां ने अपनी नवजात बच्ची को जमुई शहर के एक गली में सड़क के किनारे नाले में फेंक दिया था, लेकिन अब उसका पालन पोषण पंजाब के एक परिवार में होगा. सरकार के एडॉप्शन कानून और नियम का पालन करते हुए जमुई जिले के बाल संरक्षण इकाई ने 5 महीने के इस नवजात बच्ची को पंजाब के एक दंपति को सौंप दिया है. बता दें कि नवजात बच्ची सही में किस्मत वाली है, क्योंकि जिसकी मां ने जन्म देने के बाद ही उसे फेंक दिया था.

बता दें कि जमुई शहर के सिरचंद नवादा मोहल्ले के एक गली में सड़क के किनारे नाले में पड़ी इस बच्ची को सबसे पहले उस मोहल्ले में रहने वाले एक दंपति ने जीवन दान दिया था. 8 अगस्त 2024 को नाले में पड़े इस नवजात को कुत्ते और लावारिस मवेशी नोच डालते उससे पहले सिरचंद नवादा मोहल्ले के ही एक दंपति उसे अपने घर ले गए थे, डॉक्टर से इलाज करवाया और फिर खुशियां मनाते हुए इस बच्ची को अपनाया और उसका नाम वैष्णवी रखा.

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पंजाब के बिजनेसमैन ने लिया गोद

बता दें कि उस समय जब मीडिया में खबरें आईं तो नियम कानून का हवाला दे 14 अगस्त को जिला बाल संरक्षण इकाई ने बच्ची को अपने कब्जे में ले लिया और सरकारी पालना घर में लाकर रखा. अब सरकारी नियम और बच्चों को गोद लेने वाले कानून के तहत पंजाब के मोहाली की एक दंपति ने उसे गोद ले लिया है. अब वैष्णवी का नाम कुछ और हो जाएगा. गोद लेने वाली मोहाली की अग्रवाल दंपति इस बच्ची का नामकरण भी कर दिया है. बाल संरक्षण इकाई ने बच्ची को गुरुवार के दिन पंजाब से आई दंपति को सौंप दिया है, जिसे लेकर वे लोग जमुई से पंजाब रवाना हो गए.

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अभी प्री एडॉप्शन केयर पर रहेगी बच्ची

जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी सूरज कुमार ने बताया कि अगस्त महीने में ये बच्ची के बारे में सूचना मिली थी, जिसके बाद उसे दत्तक ग्रहण संस्थान में रखा गया था. सरकार के दत्तक ग्रहण नियम प्रक्रिया के तहत उस बच्ची को पंजाब के एक दंपति को प्री एडॉप्शन केयर के लिए फिलहाल दो महीनों के लिए सौंपा गया है.

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दो महीने तक निगरानी, फिर पूरी होगी प्रक्रिया

जानकारी के अनुसार, दो महीने तक उसकी निगरानी रखी जायेगी. बच्ची का उस परिवार से भावनात्क जुड़ाव होने पर एडॉप्शन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. पदाधिकारी ने बताया कि इस दंपत्ति ने गोद लेने के लिये चार साल पहले सरकारी साइट पर रजिस्ट्रेशन किया था. जमुई जिले के यह पहला मामला है जहां सरकारी नियम के अनुसार किसी बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया हुई.

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