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बिहार में यहां ट्रेन से उतरकर रेलकर्मी खोलते और बंद करते हैं फाटक, इस वजह फाटक पर होता है ट्रेन का इंतजार

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विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क वाले अपने देश में कुछ ऐसे भी रेल रूट हैं जहां स्टेशनों से अधिक रेल फाटक पर यात्री अपने ट्रेनों का इंतजार करते हैं. जहां हर दिन इन रेल फाटक पर दो बार ट्रेन रुकती है. जहां से इस ट्रेन में सवार होकर यात्री अपने गंतव्य तक की यात्रा पूरी करते हैं. हम बात कर रहे हैं पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी रेल मंडल के अंतर्गत आनेवाले दरौंदा-मशरख रेल लाइन की. कुल 42 किलोमीटर के रेल रूट पर पड़नेवाले हर रेल फाटक पर ट्रेन दो बार रुकती है.

ट्रेन में सवार मोबाइल गेट मैन यहां रेल फाटक को करते हैं बंद

दरौंदा-मशरख रेल रूट पर दो जोड़ी ट्रेनें चलती हैं. यह ट्रेन थावे जक्शन से मशरख स्टेशन जाती है. इसमें थावे से दरौंदा तक मेन लाइन है. यहां से रूट बदल कर ट्रेन कुल 42 किलोमीटर मशरख स्टेशन तक का सफर पूरा करती है. खास बात यह है कि इस रूट पर सड़कों को क्राॅस करनेवाले रेल लाइन पर फाटक तो बनाये गये हैं, पर यहां गेट मैन की तैनाती नहीं की गयी है. इसके चलते रेल फाटक आने के पचास मीटर पहले ही ट्रेन रुक जाती है. इसके बाद ट्रेन से उतरकर मोबाइल गेट मैन आता है और रेल फाटक बंद करता है. यह गेट मैन ड्राइवर के ही केबिन में रहता है. इसके बाद ट्रेन रेल फाटक से आगे बढ़कर फिर रुक जाती है. इस बार ट्रेन के गार्ड के केबिन में बैठा दूसरा मोबाइल गेट मैन उतरकर रेल फाटक को खोलता है. इसके बाद गेट मैन को लेकर ट्रेन अब आगे की तरफ बढ़ती है.

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यह क्रम रेल रूट के अंतिम स्टेशन तक हर रेल फाटक पर चलता रहता है. इस तरह के रेल फाटक की संख्या 9 से अधिक है. हालांकि कुछ रेल फाटक पर अब अंडरपास का निर्माण हो जाने से यह समस्या दूर हो गयी है. इसमें महराजगंज स्टेशन व विशुनपुर महुवारी रेलवे स्टेशन के बीच मौजूद रगड़्रगंज रेल फाटक शामिल है. नब्बे के दशक में रेल लाइन का विस्तार करते हुए महराजगंज से 36 किलोमीटर और आगे रेल लाइन को बढ़ाते हुए मशरख स्टेशन तक ले जाने का सरकार ने फैसला किया.लिहाजा कुल 42 किलोमीटर की तैयार हुयी रेल लाइन पर वर्ष 2018 से ट्रेन दौड़ने लगी.

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रेल फाटक पर ट्रेन का इंतजार करते हैं यात्री

दरौंदा-मशरख रेल रूट से गुजरने वाली ट्रेन यहां के अगल बगल के गांवों के लोगों के सफर के लिये सबसे सुगम साधन है. इस रूट पर आठ रेलवे स्टेशन बनाये गये हैं. इसमें दरौंदा व मशरख के बीच महराजगंज, विशुनपुर महुवारी, सरहरी, बड़का गांव, बसंतपुर, साघर सुल्तानपुर स्टेशन पड़ता है. इन स्टेशनों से अधिक रूट पर रेल फाटक की संख्या है. जहां आसपास के ग्रामीण अपनी यात्रा शुरू करने के लिये इस रेल फाटक पर ही ट्रेन का इंतजार करते हैं.खास बात यह है कि इन रेलवे फाटकों से नजदीक के स्टेशन की दूरी डेढ़ से दो किलोमीटर ही है. इसके बाद भी रेल फाटक पर ट्रेन रूकना तय होने से यात्री स्टेशन तक जाना मुनासिब नहीं समझते हैं. लिहाजा हर रेल फाटक से आसपास के पांच से छह गांवों के यात्री अपना सफर शुरू करते हैं.

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रेल फाटक पर ट्रेन रूकने से औसतन छह मिनट का लगता है वक्त

हर रेल फाटक आने पर उसके पहले ट्रेन रूकने व पुन: रेल फाटक के पार करके रूकने के इस क्रम में एक अनुमान के मुताबिक औसतन छह मिनट का वक्त गुजर जाता है.लिहाजा 2 घंटा 13 मिनट का हर ट्रेनों को तय किया गया सफर को पुरा करने में अतिरिक्त समय लग जाता है.डीजल इंजन से पूर्व में चलनेवाली ट्रेनों से इंधन के अतिरिक्त खर्चे का अनुमान पहले लगाया जाता था, पर अब इलेक्ट्रिक इंजन होने के चलते इसकी चर्चा आमतौर पर नहीं होती है.

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फाटक पर ट्रेन रूकने से रेल का व्यवसाय भी हो रहा प्रभावित

हर रेलवे फाटक पर चौबीस घंटे में तीन गेट मैन की ड्यूटी लगती है.पर यहां तैनाती नहीं होने से रेल प्रशासन का मानना है कि यह अतिरिक्त खर्च बच जाता है.दूसरी तरफ स्टेशन के बजाय रेलवे फाटक से ट्रेन पर सवार होनेवाले यात्री को टिकट नहीं मिल पाता है.जिसका नुकसान रेलवे को आर्थिक रूप से उठाना पड़ रहा है.इसके साथ ही दरौंदा व मशरख रेलवे स्टेशन को छोड़कर अन्य सभी स्टेशनों पर टिकट बिक्री के लिये ठेके पर वेंडर की तैनाती की गयी है.जहां से रेलवे को अपने उम्मीद के अनुसार टिकटों की बिक्री नहीं होती है.इससे भी रेलवे का व्यवसाय प्रभावित है.

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तत्कालीन रेल मंत्री के कार्यकाल में रेल रूट हुआ था स्वीकृत

दरौंदा से महराजगंज तक पहले से मौजूद रेल लाइन का विस्तार करते हुए मशरख तक बढ़ाने के प्रस्ताव के बारे में कहा जाता है कि तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने मंजुरी दी थी.हालांकि पूर्व में महराजगंज से वाया गोरयाकोठी होते हुए मशरख तक रेल लाइन बिछाने की मांग उठती रही थी.जिसे काफी पहले मंजूरी भी मिल गयी थी, पर यह प्रस्ताव हकीकत में नहीं बदल पाया.बाद के दिनों में महराजगंज के तत्कालीन सांसद प्रभुनाथ सिंह के पहल पर रेलमंत्री नीतीश कुमार ने महराजगंज-मशरख रेल लाइन को स्वीकृति प्रदान कर दी.जिसका छह वर्षों तक काम चलने के बाद यह रूट वर्ष 2018 में चालू हो गया.

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