बिहार में शराबबंदी के चलते बड़े रेलवे स्टेशनों सुरक्षा के चाकचौबंद की गई है, लिहाजा शराब तस्करों ने अब छोटे स्टेशनों के आड़ में शराब का धंधा करना शुरू कर दिया है। रात होते ही ये स्टेशन अवैध शराब की तस्करी के प्रमुख अड्डे बन जाते हैं।और शराब तस्कर रात में एक्टिव हो जाते हैं।
छोटे रेलवे स्टेशन तस्करी के हॉटस्पॉट
मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी और हाजीपुर रेलखंड के कई छोटे स्टेशन शराब तस्करों के लिए सुरक्षित ठिकाने बन गए हैं। बड़े स्टेशनों पर कड़ी जांच के कारण तस्कर ट्रेन से शराब उतारकर छोटे स्टेशनों के माध्यम से अलग-अलग जगहों पर सप्लाई कर रहे हैं। शाम होते ही सुरक्षाकर्मी नदारद हो जाते हैं, जिससे रात के अंधेरे में तस्करी आसानी से हो रही है। इस संबंध में केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने रेलवे पुलिस और आरपीएफ को अलर्ट जारी कर निगरानी बढ़ाने और तस्करों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट
खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, बड़े स्टेशनों पर कड़ाई से जाँच और कार्रवाई होने के डर से तस्कर अब छोटे स्टेशनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यहां पुलिस की तैनाती तो होती है, लेकिन लापरवाही के कारण तस्कर इसका फायदा उठाकर विदेशी शराब की खेप उतरवा रहे हैं और आसपास के इलाकों में सप्लाई कर रहे हैं।
किन स्टेशनों पर बढ़ाई गई निगरानी?
हाजीपुर-मुजफ्फरपुर रेलखंड के भगवानपुर, गोरौल, तुर्की और कुढ़नी, मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी रूट के जुब्बासाहनी, परमजीवर तारजीवार, गरहा, मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर रूट के ढोली, दुबहा, और मुजफ्फरपुर-मोतिहारी रेलखंड के कांटी, पिपराहा, मेहसी, कपरपूरा जैसे स्टेशनों पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
शाम ढलते ही बढ़ जाती है तस्करों की सक्रियता
इन छोटे स्टेशनों पर पुलिस की तैनाती ( Deployment) तो होती है, लेकिन वे अक्सर ड्यूटी से गायब रहते हैं। वे केवल प्रमुख ट्रेनों के आगमन पर प्लेटफॉर्म पर नजर आते हैं, बाकी समय अपने निजी कामों में व्यस्त रहते हैं। शाम के बाद तो वे पूरी तरह गायब हो जाते हैं, जिससे तस्कर आसानी से शराब की खेप उतारने और सप्लाई करने में सफल हो जाते हैं।
होली को लेकर बड़े स्टेशनों पर सख्ती
होली के मद्देनजर समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर समेत अन्य बड़े रेलवे स्टेशनों पर सख्ती बढ़ा दी गई है। जांच के दौरान कई शराब तस्कर पकड़े भी जा रहे हैं। रेल डीएसपी अपनी टीम के साथ जंक्शन का औचक निरीक्षण भी कर रहे हैं, लेकिन छोटे स्टेशन अब भी उनकी नजरों से दूर हैं, लिहाजा तस्करी पर पूरी तरह रोक नहीं लग पाई है।
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