बिहार में कांग्रेस जिलाध्यक्षों को मिला बड़ा पॉवर, टिकट बंटवारे में की होगी अहम भूमिका; कैंडिडेट हारा तो तय होगी जिम्मेदारी
कांग्रेस में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का दौर फिर से लौटने वाला है। यह बात हम नहीं कह रहे, बल्कि खुद इंदिरा के पोते एवं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कही है। राहुल ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर टिकट बांटने का फॉर्मूला बताया है। इसके तहत कांग्रेस टिकट बंटवारे में अपने जमीनी स्तर के नेताओं के सुझाव को तरजीह देगी। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि इस बार प्रत्याशी चयन में जिलाध्यक्षों की भूमिका अहम होगी। माना जा रहा है कि यह फॉर्मूला अगर बिहार चुनाव में सफल होता है तो कांग्रेस अन्य राज्यों में भी इसे अपनाएगी।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ दिल्ली में शुक्रवार को बिहार के नवनियुक्त जिलाध्यक्षों की बैठक ली। बैठक में उन्होंने कहा कि दिवंगत इंदिरा गांधी के कार्यकाल तक विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों का चयन का काम जिलाध्यक्ष करते थे। इसके बाद राजीव गांधी के कार्यकाल से कैंडिडेट चयन काम जिलाध्यक्षों से छीनकर प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारियों को दे दिया गया। सोनिया गांधी का दौर आते-आते टिकट बांटने का काम एआईसीसी और सीईसी यानी आलाकमान से होने लग गया।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, जिलाध्यक्षों को भी अब प्रत्याशियों के चयन मे सीईसी (कांग्रेस कार्यसमिति) की बैठक में बुलाया जाएगा। उन्हें हर महीने बैठक करनी होगी। कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिलाध्यक्षों द्वारा आयोजित बैठक और अन्य कार्यक्रमों में शामिल होना अनिवार्य होगा। इन बैठकों में पार्टी के विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व सांसद, एमएलसी और पूर्व एमएलसी को भी उपस्थित रहना जरूरी होगा।
जिलाध्यक्ष बैठक का पूरा ब्योरा प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी को हर महीने भेजेंगे। जिलाध्यक्ष प्रखंड, बूथ और वार्ड कमेटी का गठन करेंगे। कमेटी के गठन के लिए विधानसभा चुनाव वाले राज्यों को 6 महीने का समय दिया गया है। अगर तय समय में ऐसा नहीं हुआ तो जिलाध्यक्ष को पद से हटा दिया जाएगा।