बिहार के रविराज देख नहीं सकते, मां ने कुछ ऐसे क्रैक कराई यूपीएससी परीक्षा, दिल छू लेगी इनकी कहानी
बिहार में नवादा जिले के रविराज ने यूपीएससी परीक्षा में मिसाल कायम की है। रविराज ने यूपीएससी परीक्षा में 182वीं रैंक हासिल की। रविराज की सफलता की चर्चा पूरे देश में हो रही है। क्योंकि रविराज दृष्टिबाधित हैं और उन्होंने यह सफलता कड़ी मेहनत से हासिल की है। यह सफलता उन्हें चौथे प्रयास में मिली। पहले प्रयास में पीटी पास किया था, दूसरे और तीसरे प्रयास में पीटी नहीं निकाल पाए थे। चौथे प्रयास में पीटी, मेंस और इंटरव्यू तीनों में सफलता पाई।
रविराज को इससे पहले 69वीं बीपीएससी में 490वीं रैंक मिली थी। उन्हें रेवेन्यू ऑफिसर का पद मिला था। बीपीएससी में दृष्टिबाधित कैटेगरी में वे बिहार में टॉपर रहे थे। लेकिन उन्होंने वह नौकरी ज्वाइन नहीं की। छुट्टी लेकर यूपीएससी की तैयारी में जुटे रहे।
रविराज की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे चली गई थी। खुद से पढ़ना और लिखना बंद हो गया था। ऐसे में मां विभा देवी ने उनका साथ दिया। मां ने उन्हें पढ़कर सुनाया। रविराज ने सुना, याद किया और बोलकर बताया। मां ने वही लिखकर तैयारी कराई। मां ने घरेलू काम के साथ पढ़ाई में भी पूरा समय दिया। जब खाना बनाती थीं, तब यूट्यूब पर वीडियो खोल देती थीं। रविराज रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई करते थे।
रविराज कहते हैं, मेरी पढ़ाई में मां की बराबर की भागीदारी रही। उनके बिना यह संभव नहीं था। मां ने एक विद्यार्थी की तरह जीवन जिया। पिता रंजन कुमार सिन्हा किसान हैं। मां गृहिणी हैं। ग्रेजुएशन तक पढ़ी हैं, रविराज की बहन भी दृष्टिबाधित है। रविराज ने दसवीं नवादा के ऑक्सफोर्ड पब्लिक स्कूल मिरजापुर से की। एसएन इंटर स्कूल नवादा से किया। ग्रेजुएशन एसआरएस कॉलेज से राजनीतिक शास्त्र में किया।
रविराज कहते हैं, मैं थॉमस अल्वा एडिसन जैसा महान नहीं बन सका, लेकिन मेरी मां ने एडिसन की मां नैंसी मैथ्यूज जैसी परवरिश की। समाज और स्कूल मुझे सूरदास समझता था। लेकिन मां मेरी आंख बनीं। रीडर और राइटर दोनों की भूमिका निभाई। मां पढ़ती थीं, मैं सुनता था। फिर मैं बोलता था, मां लिखती थीं। यह सिलसिला याद करने तक चलता था। पिता रंजन कुमार सिन्हा कहते हैं, रविराज की सफलता में मां का सबसे बड़ा योगदान है। मां ने मां के साथ दोस्त और गुरु की भूमिका भी निभाई।