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जीतिया व्रत में बुधादित्य योग, सप्तमी युक्त अष्टमी जीतिया व्रत क्या होता है भारी, क्यों अलग-अलग तारीखों पर व्रत… 

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जीवित पुत्रिका (जीतिया) व्रत को लेकर ज्योतिषियों के बीच मतभेद है। कुछ विद्वान जीतिया 6 अक्टूबर और कुछ 7 अक्टूबर को मनाने की बात कह रहे हैं। पुत्र की लंबी आयु का यह व्रत महिलाएं अपने स्थान (मोहल्ले, गांव), अपनी मान्यता व अपने गुरु (पंडित) की सलाह पर 6 या सात अक्टूबर को मना रही हैं।

ज्योतिषाचार्य पीके युग कहते हैं कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीतिया व्रत मनाया जाता है। इस व्रत में शाम में प्रदोष काल में पूजा का विधान है। इस वर्ष प्रदोष काल में अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को पड़ रही है। आचार्य माधवानंद (माधव जी) भी 6 अक्टूबर को ही व्रत करने का निर्णय दे रहे हैं। उन्होंने कि शुक्रवार को सूर्योदय से एक घंटा पहले सरगही अर्थात ओठगन होगा। पं.रमेश चंद्र शुक्ल के तिथि निर्णय एवं व्रतोपवास के अनुसार भी 6 अक्टूबर को ही व्रत करने का निर्णय दिया गया है।

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ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि शास्त्रत्त् के अनुसार यह व्रत 6 अक्टूबर को मनाना उचित होगा। 6 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्ध योग के साथ-साथ चंद्रमा से चौथे भाव में उच्चस्थ बुध के कारण भद्र योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा इस दिन सूर्य व बुध के साथ-साथ बुधादित्य योग भी बन रहा है।

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उदयातिथि को मानने वाले 7 को रखेंगे व्रत

ज्योतिषाचार्य पीके युग कहते हैं कि जीतिया में अष्टमी तिथि में नवमी तिथि नहीं मिलना चाहिए। जबकि 7 अक्टूबर को दोनो तिथियां मिल रही है। इसके अलावा इस व्रत में शाम में प्रदोष काल में पूजा का विधान है। इस वर्ष प्रदोष काल में अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को मिल रही है। इसलिए निर्जला व्रत 6 अक्टूबर को रखकर 7 अक्टूबर को पारण करना चाहिए। दूसरी तरफ राकेश कुमार मिश्र बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्रत्त् में कहा गया है कि सप्तमी युक्त अष्टमी जीतिया व्रत करने पर सात जन्मों तक दुखी व शोक-संतप्त होना पड़ता है। 6 अक्टूबर को सप्तमी युक्त अष्टमी पड़ रहा है इसलिए 7 अक्टूबर को व्रत कर 8 अक्टूबर को पारण करना उचित होगा।

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वहीं उदयातिथि को मानने वाले जीतिया व्रत 7 अक्टूबर को रखेंगे। आचार्य राकेश कुमार मिश्र कहते हैं कि सप्तमी विद्धा अष्टमी का त्याग करते हुए उदय कालीन अष्टमी में 7 अक्टूबर को व्रत मनाना चाहिए। व्रती जो 6 अक्टूबर को निर्जला व्रत करेंगी वे 5 अक्टूबर को नहाय-खाय और 7 अक्टूबर को सुबह 8.22 बजे के बाद पारण करेंगी। वहीं 7 अक्टूबर को व्रत रखने वाली व्रती 6 अक्टूबर को नहायखाय और 8 अक्टूबर को पारण करेंगी।

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