अब स्कूलों में किताबों के लाले नहीं पड़ेंगे, नीतीश सरकार ने बनाया यह प्लान, 15 मार्च का टारगेट सेट…
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नीतीश सरकार की ओर से बिहार के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को कोर्स की किताबें मु्फ्त दी जाती हैं। इस बार बच्चों के हाथों में शैक्षणिक सत्र (2024-25) शुरू होते ही किताबें मिल जाएंगी। विगत कई वर्षों से समय पर सभी बच्चों को किताबें नहीं मिल रही है। इसे लेकर बिहार राज्य पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगम ने पुख्ता तैयारी की है। परिणाम यह है कि जनवरी की शुरुआत में ही दो करोड़ से अधिक किताबें प्रखंडों में पहुंचा दी गई है।
पहली से आठवीं के सवा करोड़ से अधिक बच्चों को मुफ्त में किताबें दी जाएंगी। इसके लिए शिक्षा विभाग के निर्देश पर किताबों की छपाई युद्ध स्तर पर चल रही है। मिली जानकारी के अनुसार, लक्ष्य है कि 15 मार्च, 2024 तक सभी सवा नौ करोड़ किताबें प्रखंडों में पहुंचा दी जाए ताकि, एक अप्रैल से नया सत्र शुरू हो तो उस समय बच्चों के लिए किताबें सभी प्रारंभिक स्कूलों में पहले से उपलब्ध रहे और उनकी पढ़ाई पिछड़े नहीं।
69 हजार स्कूल
आठवीं तक के राज्य में प्राथमिक और मध्य विद्यालयों (कक्षा एक से आठ) की संख्या करीब 69 हजार है। कक्षावार किताबों का सेट बनाकर प्रखंडों में पहुंचाया जा रहा है ताकि, कक्षा के अनुसार हर बच्चे को वह सेट दे दिया जाये। वर्षों बाद सभी बच्चों के पास सत्र की शुरुआत में ही किताबें पहुंचेंगी। पिछले कई सालों से समय पर किताबें पहुंचाना एक चुनौती हो गई थी। इसके देखते हुए पूर्व में किताब की जगह बच्चों को पैसे देने का भी नियम बना। इसमें फिर से बदलाव भी किये गये।
56 प्रकाशकों को दी गई जिम्मेदारी
किताब की छपाई तेजी से हो इसको लेकर बिहार और दूसरे राज्यों के कुल 56 प्रकाशकों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। किताबों की छपाई जारी है। दूसरे राज्यों के प्रकाशकों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि शामिल हैं। कागज की कमी न हो इसलिए इस बार निगम ने पर्याप्त मात्रा में कागज भी उपलब्ध करा दिये हैं ताकि कार्य बाधित नहीं हो। सवा करोड़ बच्चों को मुफ्त में किताबें पहुंचाने की तैयारी है। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति के अनुसार यह संख्या तय की गई है। हालांकि, जरूरत हुई तो इसकी संख्या आगे बढ़ायी भी जा सकती है।