समस्तीपुर के सरकारी विद्यालयों में अब तक 53 फीसदी बच्चों को नहीं मिली है पाठ्य पुस्तक, बिना किताब के ही जा रहे स्कूल
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समस्तीपुर : प्रदेश में बच्चों को स्कूल में ही पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराने की पहल बिहार सरकार की ओर से की जा रही है। ताकि बच्चों को समय से किताब मिलने पर उनके पठन-पाठन कोई परेशानी न हो, लेकिन जिले में अभी कई स्कूली बच्चे ऐसे जिनको अबतक किताब मिली ही नहीं है। इस स्थिति में उन बच्चों के पठन-पाठन पर गहरा असर पड़ सकता है। विभिन्न विद्यालय के एचएम से मिली जानकारी के मुताबिक 53 फीसदी बच्चे बिना किताब के ही स्कूल जा रहे हैं। इसकी वजह है कि बच्चों को शिक्षा विभाग द्वारा किताब उपलब्ध नहीं कराया गया।
सरकारी स्कूलों में अधिकांश गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चे ही पढ़ते हैं। सत्र 2018-19 से बच्चों को किताब खरीदने के लिए राशि खाते में दी जाती थी, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में शिक्षा विभाग ने राशि के बदले फिर से किताब देने लगे। पिछले चार सत्रों की बात करें तो अप्रैल से सत्र शुरू होता है, लेकिन राशि बच्चों के खाता में कभी अक्टूबर तो कभी नवंबर और दिसंबर में भेजी जाती थी, इसके कारण बच्चे बिना किताब के ही पढ़ाई करते थे।
इस बीच शिक्षा विभाग ने इस खामियों को दूर करने के लिए फिर से किताब उपलब्ध कराना शुरू कर दिया। लेकिन इसका भी यही हाल है। जिले में 2517 प्रारंभिक विद्यालय संचालित किए जा रहे है। अभिभावकों का बताना है कि पढ़ाई का सत्र शुरू हुए दो माह होने को हैं, लेकिन अभी तक किताब नहीं दिया गया। इसकी वजह से बच्चों को पढ़ाई में दिक्कतें आ रही है। लोकल बाजार में एनसीईआरटी किताब उपलब्ध नहीं है।
समस्तीपुर प्रखंड में 166 प्रारंभिक विद्यालयों में पिछले सत्र के नामांकन के अनुपात 40 प्रतिशत ही पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराया गया। वहीं बच्चों का कहना है कि अगले माह तिमाही परीक्षा होगी मगर, अब तक किताबें नहीं मिली हैं। कुछ बच्चे अपने सीनियर क्लास के बच्चों से पुरानी पुस्तकें लेकर काम चला रहे हैं। किसी ने एक तो किसी ने दो-तीन पुरानी किताबों का प्रबंध कर लिया है जबकि, सभी छात्रों को पुरानी किताबें हासिल होना भी संभव नहीं है। फिलहाल स्कूलों में गर्मी की छुट्टी चल रही है।
निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत पहली से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को निशुल्क पाठ्य-पुस्तक देने का प्रावधान है। शिक्षा विभाग की ओर से कहा गया था कि प्रारंभिक विद्यालयों में बच्चों को पुस्तक उपलब्ध हुई है या नहीं, इसका पता शिक्षा विभाग लगायेगा। शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों में जाकर जायजा लेंगे कि पुस्तक बच्चों को उपलब्ध हुई है या नहीं और विद्यालय में कितने बच्चे नामांकित है और उनमें से कितने बच्चों को पुस्तक उपलब्ध हुई हैं।
विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों ने बताया कि जिले के सरकारी स्कूलों में नामित छात्रों को पुस्तक नहीं मिलने से शिक्षक भी परेशान हैं। उनका कहना है कि पढ़ाई में रफ्तार तभी आयेगी, जब सभी बच्चों के पास पाठ्यपुस्तकें होगी। नये शैक्षिक सत्र में बच्चों को पढ़ाने में कुछ एक पुरानी किताब का सहारा लिया जा रहा है। इससे बच्चों के साथ-साथ शिक्षको को भी पढ़ने-पढ़ाने में असहज महसूस हो रहा है। विभाग ने डीईओ को सभी स्कूलों में 12 और 13 अप्रैल को “पुस्तक वितरण उत्सव” का आयोजन कराकर बच्चों के बीच पुस्तकों का वितरण सुनिश्चित कराने का बड़ा टास्क सौंपा था।
साथ ही यह राहत दी थी कि अगर इन दो दिनों के अंदर पुस्तकों का वितरण संभव नहीं हुआ, तो 15 अप्रैल को वितरण पूरा करने का निर्देश दिया था। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता पर संबंधित प्रधान शिक्षक और अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की बात कही गई थी। जब मुख्यालय द्वारा ही पाठ्य पुस्तक नामांकित छात्र अनुपात में नहीं उपलब्ध करा रहा है तो कार्रवाई तो अब सरकार को करनी चाहिए।
किस कक्षा में कितनी किताबें :
कक्षा दो में तीन पुस्तकें- हिंदी, गणित और अंग्रेजी, कक्षा 3 में हिंदी, गणित, अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान, कक्षा 7 में हिंदी, संस्कृत, गणित, सामाजिक विज्ञान, विज्ञान।