Knowledge

सुंदर दिखने की चाहत में बीमार हो रहीं युवतियां, फेसबुक और इंस्टा फिल्टर से बिगड़ रही आदत

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े

फिल्टर लगाकर फेसबुक-इंस्टाग्राम पर अपना चेहरा निखारते-निखारते लोग अपना असली चेहरा ही भूलते जा रहे हैं। फिल्टर वाले फोटो व रील्स की तरह लगातार सुंदर दिखने के चक्कर में वे तनाव या एंग्जाइटी का शिकार हो रहे हैं। यहां तक कि वे इसके चक्कर में बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर यानी बीडीडी जैसे मनोरोग का शिकार हो रहे हैं। हालांकि इस तरह के मामले अभी अस्पतालों में बहुत ही कम पहुंच रहे हैं। लेकिन काउंसिलिंग के लिए बड़ी संख्या में लोग अस्पताल पहुंचने लगे हैं।

रिसर्च गेट वेबसाइट की एक रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक और इंस्टाग्राम के भारत में अकेले इस आयु वर्ग (13 साल से लेकर 21 साल तक) के क्रमश: 9.7 करोड़ और 6.9 करोड़ यूजर्स हैं, जिसमें ज्यादातर लोग रोजाना चार से पांच घंटे सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। सोशल मीडिया की एक रिसर्च में पाया गया कि 43 प्रतिशत इंस्टाग्राम, फेसबुक इस्तेमाल करने वाले हमेशा ही दबाव महसूस करते हैं।

फेसबुक या इंस्टाग्राम में फिल्टर लगाकर फोटो या रील्स डालने वाले हर तीन में से एक यूजर्स विशेषकर किशोरी या युवतियां बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर का शिकार हो रही हैं। शोध में 32 प्रतिशत किशोरियों व युवतियों ने बताया कि जब उन्हें शरीर के बारे में बुरा लगा तो सोशल मीडिया ने उन्हें और भी बुरा महसूस करा दिया।

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर क्या है

बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (बीडीडी) शरीर को लेकर एक चिंता या विकार है। यह डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। इसमें व्यक्ति अपनी शारीरिक बनावट के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचने के साथ ही अनावश्यक रूप से परेशान रहने लगता है। इससे वे तनाव समेत अन्य समस्याओं से ग्रसित हो जाते हैं। अपने शरीर या चेहरे की सुंदरता को लेकर उसमें भ्रम भी हो सकता है या फिर सुंदर न होने की दशा में उसे सुंदर या आकर्षक बनाने का जुनून भी पैदा हो सकता है। कुछ मामले में सुंदर होने के बावजूद उसे सुंदर न होने का विश्वास पैदा हो जाता है और वह सुंदर बनने के चक्कर में तनाव लेने लगता है।

रील्स पर कम लाइक-कमेंट मिला तो एंग्जाइटी होने लगी

एसएम कॉलेज रोड स्थित एक लॉज में रहने वाली सोनिया ने बताया कि वह कोरोना के समय वीडियो रील्स बनाने वाले एप के जरिए इंस्टाग्राम पर रील्स पोस्ट करती थी। रील्स में फिल्टर्स का उपयोग करती थी। ऐसे ही कुछ दिन चला तो उसे हमेशा ही सुंदर दिखने की ललक पैदा हो गई। यहीं ललक कुछ महीने में तनाव देने लगा। यहां तक वीडियो रील्स पर कम संख्या में लाइक व कमेंट आने पर एंग्जाइटी होने लगती थी। इसका असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगा। तब जाकर उसने एक मनोरोग विशेषज्ञ से मिलकर काउंसिलिंग के बाद इलाज कराया।

फिल्टर्स का लगातार न करें इस्तेमाल : डॉ. अशोक भगत

आज की नौजवान पीढ़ी इंटरनेट पर्सनालिटी को बनाए रखने की कोशिश में लगी है। लोग अपनी असल पहचान से दूर होते जा रहे हैं, जिससे उनमें आत्मविश्वास की कमी आ रही है। इसे चिकित्सकों की भाषा में बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर कहा जाता है। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भागलपुर के मनोरोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार भगत ने बताया कि वीडियो रील्स या पोस्ट में लगातार फिल्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो जरा इस पर लगाम लगाएं और कम से कम करने इस्तेमाल करें।

Avinash Roy

Recent Posts

बिहार में अमेरिका के बराबर हाइवे होंगे, चार साल में बदलेगी सूरत; नितिन गडकरी का ऐलान

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  अगले चार साल में बिहार की सूरत बदलने…

29 मिनट ago

बिहार पुलिस करेगी हथियार के साथ ‘मिर्च’ का भी इस्तेमाल, जानिए इसके पीछे की क्या है वजह

बिहार में पुलिस टीम पर हो रहे हमले से बचाव के लिए पुलिस अब नया…

2 घंटे ago

वे NDA में थे कब? चाचा पशुपति पारस पर चिराग पासवान का तीखा वार

पटना में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(रालोजपा) का कार्यालय खाली करा लिए जाने के बाद पार्टी…

3 घंटे ago

वे एनडीए में थे कब? पशुपति पारस पर चिराग पासवान का तीखा वार,बोले- अलग तो वह होता हो जो…

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े  पटना में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी(रालोजपा) का कार्यालय…

3 घंटे ago

बिहार पुलिस सिपाही भर्ती के लिए इस दिन से होगा फिजिकल टेस्ट, आज से डाउनलोड करें एडमिट कार्ड

अपर पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय चयन पर्षद के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार नेबिहार पुलिस सिपाही भर्ती…

4 घंटे ago

शिक्षकों के ट्रांसफर पर नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, अब फिर से आवेदन दे सकेंगे शिक्षक, पुराने सभी आवेदन रद्द

बिहार के शिक्षकों के ट्रांसफर से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल शिक्षकों…

5 घंटे ago