समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

NationalNEWS

‘लड़कियां OYO रूम्स में हनुमान आरती करने नहीं जातीं’, महिला आयोग अध्यक्ष के बयान पर बवाल

हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने लड़कियों को लेकर एक विवादित बयान दिया है। महिलाओं के साथ बढ़ रहे शारीरिक शोषण के मामलों पर रेनू भाटिया ने उल्टा लड़कियों की ही इसका जिम्मेदार बताते हुए कहा कि वे OYO रूम क्यों जाती हैं? लड़कियां हनुमान जी की आरती करने तो नहीं जाती, ऐसी जगहों पर जाने से पहले ध्यान रखे वहां आपके साथ गलत भी हो सकता है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैथल के RKSD कॉलेज में कानूनी और साइबर क्राइम जागरूकता कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने इस मामले को लेकर और भी कई बातें कही हैं।

IMG 20220723 WA0098

‘लिव इन रिलेशनशिप कानून में बदलाव हो’

इस दौरान रेनू भाटिया ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप कानून में बदलाव होना चाहिए क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप कानून में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो गाइडलाइन बनाई गई है उसके चलते उन्हें महिलाओं से जुड़े मामलों को सुलझाने में दिक्कत आती है। उन्होने कहा कि ऐस कानून के रहते ही अपराध के मामले बढ़ रहे हैं।

new file page 0001 1

उन्होने कहा कि हमारे पास अभी तक लड़कियों के जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें ज़्यादातर लिव-इन-रिलेशनशिप से जुड़े हैं। हम इन मामलों में दाखलअंदाजी नहीं करते लेकिन सुलझाने का प्रयास करते हैं। उन्होने कहा कि ऐसे मामलों में लड़कियों को समझना चाहिए। क्योंकि वह OYO जाती हैं तो हनुमान की आरती तो करने जाती नहीं होंगी।

Samastipur Town Page Design 01

लिव इन रिलेशनशिप को लेकर क्या कहता है देश का कानून
प्रेमी जोड़े का शादी किए बिना लंबे समय तक एक घर में साथ रहना लिव-इन रिलेशनशिप कहलाता है। लिव-इन रिलेशनशिप की कोई कानूनी परिभाषा अलग से कहीं नहीं लिखी गई है। आसान भाषा में इसे दो व्यस्कों (Who is eligible for live-in relationship?) का अपनी मर्जी से बिना शादी किए एक छत के नीचे साथ रहना कह सकते हैं।

कई कपल इसलिए लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं, ताकि यह तय कर सकें कि दोनों शादी करने जितना कंपैटिबल हैं या नहीं। कुछ इसलिए रहते हैं क्योंकि उन्हें पारंपरिक विवाह व्यवस्था कोई दिलचस्पी नहीं होती है।

IMG 20230324 WA0187 01

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चार दशक पहले 1978 में बद्री प्रसाद बनाम डायरेक्टर ऑफ कंसोलिडेशन (Badri Prasad vs Director Of Consolidation) के केस में सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता दी थी। यह माना गया था कि शादी करने की उम्र वाले लोगों के बीच लिव-इन रिलेशनशिप किसी भारतीय कानून का उल्लंघन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई कपल लंबे समय से साथ रह रहा है, तो उस रिश्ते को शादी ही माना जाएगा। इस तरह कोर्ट ने 50 साल के लिव-इन रिलेशनशिप को वैध ठहराया था।

IMG 20230109 WA0007

न्यायपालिका से संबंधित खबरों को आसान भाषा में बताने वाले मीडिया संस्थान लाइव लॉ की मानें, तो लिव-इन रिलेशनशिप की जड़ कानूनी तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 में मौजूद है। अपनी मर्जी से शादी करने या किसी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की आजादी और अधिकार को अनुच्छेद 21 से अलग नहीं माना जा सकता।

20x10 Hoarding 11.02.2023 01 scaledIMG 20230416 WA0006 01Post 193 scaled