भारत के वो रेल मंत्री जिन्होंने ट्रेन हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए दिया था इस्तीफा
ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेनों की भीषण टक्कर में लगभग 280 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं 900 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। भारतीय इतिहास में यह सबसे बड़े रेल हादसे के रूप में देखा जा सकता है। इसके साथ ही इस को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। वर्तमान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा भी मांगा जा रहा है। कई विपक्षी दल लगातार इसको लेकर ट्विटर पर लिख भी रहे हैं। अश्विनी वैष्णव ने फिलहाल साफ तौर पर कहा है कि उनकी पहली जिम्मेदारी लोगों को बचाना है और वह इस काम में लगे हुए हैं। फिलहाल राहत और बचाव कार्य लगभग पूरा हो चुका है।
आज हम आपको भारतीय इतिहास में ऐसे रेल मंत्रियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो ट्रेन दुर्घटना के बाद नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे चुके हैं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी नाम शामिल है।
लाल बहादुर शास्त्री: 1956 में, तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने तमिलनाडु में अरियालुर ट्रेन दुर्घटना के लिए नैतिक जिम्मेदारी ली थी, जिसमें लगभग 142 लोगों की जान चली गई थी। जवाबदेही के इस कार्य ने पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू से शास्त्री की प्रशंसा अर्जित की। नेहरू ने उनकी ईमानदारी की सराहना की। परिणामस्वरूप शास्त्री की लोकप्रियता बढ़ गई, जिसके बाद उनकी अन्य मंत्री भूमिकाओं में नियुक्ति हुई और अंततः वे भारत के प्रधान मंत्री बने।
नीतीश कुमार: लाल बहादुर शास्त्री के जाने के 43 साल बाद रेल मंत्री का दूसरा इस्तीफा आया। अगस्त 1999 में, असम में गैसल ट्रेन दुर्घटना के बाद नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसमें कम से कम 290 लोगों की जान चली गई थी। बाद में फिर से नीतीश कुमार की रेलमंत्री के तोर पर वापसी भी हुई थी।
ममता बनर्जी: साल 2000 में ममता बनर्जी ने एक ही साल में दो ट्रेन हादसों के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया था।
सुरेश प्रभु: चार दिनों की अवधि में दो ट्रेन के पटरी से उतर जाने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए सुरेश प्रभु ने 23 अगस्त, 2017 को रेल मंत्री के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें प्रतीक्षा करने के लिए कहा, लेकिन प्रभु ने अगले महीने पद छोड़ दिया। पटना-इंदौर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे कानपुर के पास पटरी से उतर जाने से करीब 150 लोगों की मौत हो गई थी।