समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

NationalNEWSviral

…नसीब वालों को ही मिलती है ‘दो जून की रोटी’, आखिर क्यों कहा जाता है ऐसा

IMG 20231027 WA0021

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े 

आज का तारीख बेहद खास है… आज 2 जून हैं. इस तारीख को लेकर एक कहावत काफी प्रचलित है. और इसी दिन एक कहावत काफी इस्तेमाल की जाती है, वो है ‘2 जून की रोटी’. आज (2 जून) के बारे में आपने भी सोशल मीडिया पर “दो जून की रोटी वाले ढेरों पोस्ट देखे व कहावत सुने होंगे.

2 जून तारीख और दो जून की रोटी को लेकर कई लोगों को इस कहावत का मतलब तक मालूम नहीं होगा. तो चलिये हम आपको बताएगें इसका अर्थ और इसके पीछे कोई विशेष कहानी छुपी है या फिर अतीत से इसका कोई नाता है तो चलिए आज हम आपके सारे सवालों के जवाब देते हैं.

IMG 20240520 WA0068

IMG 20230604 105636 460

नसीब वालों को ही मिलेती है ‘दो जून की रोटी’

आपने अपने आस-पास अक्सर देखा होगा कि लोग केवल दो वक्त की रोटी यानी सुबह-शाम के खाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं. वहीं, जून का महीना सबसे गर्म होता है. जून में भयकंर गर्मी पड़ती है और इस महीने में अक्सर सूखा पड़ता है, जिसके कारण जानवरों के लिए भी चारे-पानी की कमी हो जाती है. हमारा भारत कृषि प्रधान देश है, इस समय किसान बारिश के इंतजार और नई फसल की तैयारी के लिए तपते खेतों में काम करता है. इस चिलचिलाती धूप में खेतों में उसे ज्यादा मेहनत करना पड़ता है और तब कहीं जाकर उसे रोटी नसीब होती है.

IMG 20230728 WA0094 01

‘2 जून की रोटी’ का मतलब यह होता है कि इस महंगाई और गरीबी के दौर में दो वक्त का भोजन भी हर किसी को नसीब नहीं होता. मजदूर वर्ग हमारे देश का वो हिस्सा है जिस पर देश की नींव, देश की बुनियाद टिकी हुई है. किसी भी देश की उन्नति का आधार ये मजदूर वर्ग ही है जैसे एक शरीर को यथावत सुचारु रूप से चलाने के लिए हृदय का निरंतर कार्य करना सर्वाधिक आवश्यक है. उसी प्रकार मजदूर वर्ग किसी भी देश में हृदय के रूप से निरंतर कार्य करने को अग्रसर रहता है. इनके रुकने का अर्थ है देश की प्रगति में रोड़ा आ जाना, किंतु इसी वर्ग को अपने अधिकारों से वंचित रखा गया, कितने ही परिश्रम के उपरांत भी इस वर्ग को उसका हक पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाया. दो जून की रोटी में मजदूर वर्ग की वेदना, पीड़ा का मार्मिक वर्णन किया गया है, तानाशाह वाले समाज में उनकी स्थिति को दर्शाने का मूल ध्येय उनके हक के अधिकारों को उन्हें दिलवाना और उनकी भीतरी परिस्थितियों को समाज के सामने लाना ही है.

Dr Chandramani Roy Flex page 0001 1 1 scaled

IMG 20230728 WA0094 01

IMG 20240303 WA0043

IMG 20240426 WA0004

IMG 20240414 WA0005

IMG 20230818 WA0018 02

20201015 075150