वक्फ संशोधन बिल को मिली राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की मंजूरी, अस्तित्व में आया नया कानून
वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से शनिवार रात इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी हुआ। इसमें कहा गया, ‘संसद से पास वक्फ संशोधन अधिनियम को 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है और इसे आम जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है।’ मुर्मू ने मुसलमान वक्फ निरसन विधेयक, 2025 को भी अपनी मंजूरी दे दी।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन गया है। सरकार का दावा है कि यह वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोकेगा। विपक्ष इसे धार्मिक स्वायत्तता पर हमला मानता है और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती भी दी गई है।
वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 संसद में तीखी बहस और मतदान के बाद पास हुआ। सबसे पहले, विधेयक को लोकसभा में 2 अप्रैल को पेश किया गया। गुरुवार तड़के तक चली चर्चा के बाद इसे मतदान के लिए रखा गया। लोकसभा में 543 में से 520 सदस्य मौजूद थे, जिसमें 288 ने पक्ष में और 232 ने विरोध में वोट दिया। इसके बाद, विधेयक राज्यसभा में पहुंचा, जहां 4 अप्रैल को 13 घंटे से अधिक की बहस हुई। विपक्ष ने संशोधनों की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया। आखिरकार, शुक्रवार तड़के मतदान हुआ, जिसमें 245 में से 223 सदस्यों ने भाग लिया। इसमें 128 ने समर्थन और 95 ने विरोध किया। भाजपा की गठबंधन ताकत ने इसे पारित कराया।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राष्ट्रपति से मिलने का मांगा समय
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ संशोधन विधेयक को ऐसे समय मंजूरी दी है, जब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस पर उनसे मिलने का समय मांगा था। बोर्ड के महासचिव मौलाना फजलुर रहीम मुजद्द्दीदी की ओर से राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में कहा गया, ‘विधेयक के जरिए किए गए संशोधन में ऐसे बदलाव शामिल हैं जो वक्फ संस्थान के प्रशासन और स्वायत्तता को प्रभावित करते हैं। आपसे मिलने का हमारा उद्देश्य हाल ही में पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2025 और देश भर में मुस्लिम समुदाय के लिए इसके निहितार्थ के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करना है।’ बोर्ड ने दावा किया कि यह विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक है और देश के मुसलमानों पर हमला है।