हरितालिका तीज के साथ आज ही चौठचंद्र व्रत भी, क्योंकि रात में चतुर्थी तिथि में चंद्रमा का उदय
व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े
समस्तीपुर :- चौठ चंद्र पूजा भादो माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। इसे ग्रामीण इलाकों में चाैरचन के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि 30 अगस्त की रात को चतुर्थी में चंद्रमा का उदय होने के कारण चौठ चंद्र की पूजा मंगलवार की रात को ही होगी। बताया जाता है कि मंगलवार को दिन में 2:40 बजे से चतुर्थी (चौठ) का प्रवेश हो रहा है।
चतुर्थी बुधवार को दिन में 2:05 मिनट तक रहेगा। बुधवार को सूर्य का उदय चतुर्थी में जरूर होगा लेकिन चंद्रमा की पूजा का विशेष दिन होने व मंगलवार की रात ही चौठ पड़ने के कारण चौरचन मंगलवार को ही मनाया जाएगा। बुधवार की रात का पंचमी होने से चौरचन का पर्व मनाना सही नहीं माना जा रहा है।
वहीं मंगलवार को ही सुहागिन महिलाओं के लिए हरितालिका तीज व्रत होगा। महिलाएं अखंड सुहाग के लिए निर्जला व्रत रखेंगी। इसको लेकर वे भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करेंगी। वहीं मंदिरों व घरों में भगवान की कथा सुनेंगी। वहीं रातभर जागकर भगवान का ध्यान करेंगी। जबकि अगले दिन बुधवार की सुबह स्नान-ध्यान व पूजा कर व्रत संपन्न करेंगी।
पूजा करने के बाद व्रती सुनेंगी पार्वती माता को भगवान शंकर से मिलने की कथा
बताया गया कि तीज के दिन व्रतियां पार्वती माता को भगवान शंकर के मिलने की कथा सुनेंगी। इस कथा में माता पार्वती के मन में भगवान शंकर से ब्याह करने की इच्छा व सखियों के माध्यम से इनको पाने तक पूरी कथा सुनाई जाएगी। बताया जाता है कि भगवान शंकर के निर्देश पर इस व्रत को सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए करती हैं। मान्यता है कि जो व्रति रात को नहीं जाग पाती वे अपनी साड़ी में बेलपत्र बांधकर सो जाती हैं। जिससे महादेव उनके व्रत की रक्षा करते हैं।