समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

NEWSSamastipur

‘गर्भाशय घोटाला’ की जांच CBI को दी जाने के बाद से ही मचा है हड़कंप, कई सरकारी अफसर भी आ सकते हैं घेरे में

व्हाट्सएप पर हमसे जुड़े 

समस्तीपुर :- बिहार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत बड़े पैमाने पर हुए गर्भाशय घोटाला के मामले में सीबीआई ने जांच की हरी झंडी दे दी है। बीते गुरुवार को सीबीआई ने हाईकोर्ट में सुनवाई में जांच के लिए हामी भरी थी। जिसके बाद जांच के दौरान आरोपों घेरे में घिरे डाक्टरों ने खुशी जताते हुए कहा कि शायद अब सही तरीके से जांच संभव हो। आरोपों में घिरे डाॅक्टरों ने बताया कि उनका पक्ष सुने बिना उस समय जिला प्रशासन और लोकल मीडिया ने डाॅक्टरों को अपराधी घोषित कर दिया। अगर सही तरीके से CBI जांच करें तो कई सरकारी अफसर भी इसमें फंस सकते हैं।

Picsart 22 08 14 12 19 49 699

RTI के तहत मांगे गये सुचना के जबाव में समस्तीपुर जिला प्रशासन ने बताया है कि पुरूषों के गर्भाशय निकाले जाने संबंधित कोई भी अभिलेख जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग में नहीं है। वर्ष 2013 में RTI का जबाव देते हुए सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक ने बताया था कि 4 अगस्त 2012 से लेकर 8 अगस्त 2012 तक जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए मेगाकैंप जांच शिविर में जिन डाॅक्टरों के द्वारा मरीजों का अल्ट्रसाउंड किया गया था, उसकी योग्यता एवं विशेषज्ञता संबंधी जानकारी भी जिला प्रशासन के पास के पास नहीं है। आरोपी डॉक्टरों ने जिला प्रशासन पर एक पक्षीय कारवाई का आरोप लगाया है। उनका बताना है कि टेक्निशियन के जाँच के आधार पर ही जिला प्रशासन ने कारवाई की थी।

Picsart 22 08 14 12 17 47 985

आरोप में फंसे एक डॉक्टर का बताना है की विभागीय चूक का भी खामियाजा हम डॉक्टरों को भुगतना पड़ रहा है। यह संभव ही नहीं है कि आरएसबीवाई के सिस्टम से जुड़ा कोई एक पक्ष चाहे तो घपला कर ले। जब तक पूरा सिस्टम करप्ट ना हो जाए तब तक यह घपला हो ही नहीं सकता। कार्ड होल्डर मरीज, डाॅक्टर, बीमा कंपनी, उसका जांच दल और सरकारी विभाग के संबंधित लोग, इन सब की मिलीभगत हो जाय, तभी घोटाला संभव है। लेकिन हाँ, फर्जीवाड़ा और ठगी में जो भी डाॅक्टर दोषी हो उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले।

सीबीआई द्वारा हाईकोर्ट में सुनवाई में जांच के लिए हामी भरने के बाद डाॅक्टरों को उम्मीद है की अब एकपक्षीय कारवाई नहीं होगी। बता दें कि इस गोरखधंधे में समस्तीपुर शहर सहित जिले भर के कुल 17 निजी अस्पतालों की संलिप्तता उजागर हुई थी। लंबी जांच के बाद सिर्फ पांच अस्पतालों पर एफआईआर हुई। CBI द्वारा जांच की जिम्मेवारी लेने के बाद एफआईआर से बचे अन्य डॉक्टरों में हड़कंप मच गया है। जो अब तक किसी ना किसी तरीके से बच रहे थे।

ProductMarketingAdMaker 14102019 082310

Advertise your business with samastipur town