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आरक्षण को लेकर फिर मचा बवाल, तीसरे दिन भी कुर्मी समाज का आंदोलन जारी, कई ट्रेनें रद्द, यात्री परेशान

पश्चिम बंगाल, झारखंड और उड़ीसा मे एक साथ कुर्मी समुदाय ने अपने समुदाय को शेड्यूल्ड ट्राइब का दर्जा व सरना धर्म कोड लागु करने की मांग को लेकर आज (गुरुवार) तीसरे दिन भी तीन राज्यों मे पूरी तरह रेलवे का चक्का जाम कर दिया है, जिस कारण आज खड़गपुर रेल डिवीजन से गुजरने वाली करीब 35 ट्रेनें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.

बता दें, आज, 22 सितंबर को कुर्मी समाज के लोग खड़गपुर रेल डिवीजन के खेमासूली रेलवे स्टेशन, उड़ीसा के बारीपदा रेलवे स्टेशन व पुरुलिया रेलवे स्टेशन सहित झारखंड के भी विभिन्न स्टेशनों पर उतर कर जमकर प्रदर्शन कर अपनी आवाजें बुलंद कर रहे हैं, उन्होंने सरकार को खुली चुनौती दी है की अगर उनकी मांगे जल्द से जल्द नहीं पूरी की गईं तो वह अपने आंदोलन को और भी उग्र करेंगे.

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कुर्मी समाज द्वारा किये जा रहे इस आंदोलन के कारण आज बुरी तरह प्रभावित होने वाली 35 ट्रेनों मे अप और डाउन लाईन पर चलने वाली 27 ट्रेनों को कैंसल कर दिया गया है, जबकि अप और डाउन लाईन पर चलने वाली पाँच ट्रेनों को डाइवर्ट कर दिया गया है. वहीं अप और डाउन लाईन की दो ट्रेनों की समय सीमा मे बदलाव किये गए हैं.

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कुर्मी समाज के आंदोलन के शुरुवाती दिन कुल 54 ट्रेनें प्रभावित हुईं थी, जिसमें 24 ट्रेनों को कैंसल व 21 ट्रेनों के रूट डाइवर्ट और 9 ट्रेनों की समय सीमा मे फेर बदल किया गया था. वहीं आंदोलन के दूसरे दिन कुल 59 ट्रेनें प्रभावित रहीं, जिसमें 32 ट्रेनों को रद्द व 18 ट्रेनों का रूट डाइवर्ट किया गया था. साथ ही 9 ट्रेनों की समय सीमा मे फेर बदल किया गया था, और आज तीसरे दिन भी हालात जस के तस हैं, आज कुल 35 ट्रेने प्रभावित हैं।

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पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा में 13 जातियों में से 12 जातियों को 1950 में शेड्यूल्ड ट्राइब के रूप में सूचीबद्ध किया गया था. हालांकि कुर्मी जाति को इससे बाहर रखा गया था. इसके लिए कुर्मी समाज 72 साल से अपने समाज को आदिवासी समाज का दर्जा देने की मांग कर रहा है, पर उनकी मांग पूरी नहीं होने के कारण आज हालात बिगड़ने शुरू हो चुके हैं, उनका यह आरोप है की राज्य और केंद्र सरकारें हमेशा उनसे यह वादा करती हैं कि उनकी मांगे जल्द पूरी की जाएंगी, पर सरकारें अपने किए गए वादों से हमेशा मुकर जाती हैं, जिस कारण उनको अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिये यह कड़ा कदम उठाना पड़ा है.

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