जयपुर. कांग्रेस अध्यक्ष का नामांकन दाखिल करने से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को सौंपे जाने को लेकर उनके समर्थक विधायकों ने विद्रोह कर दिया है। गहलोत समर्थकों ने रविवार को साफ कर दिया कि विधायकों की राय के बिना सीएम का फैसला नहीं होना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर गहलोत समर्थक 92 विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को इस्तीफे दिए हैं।
गहलोत समर्थक विधायकों ने संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक कर कहा कि जिन लोगों ने भाजपा के साथ मिलकर दो साल पहले सरकार को गिराने का प्रयास किया, उनमें से कोई सीएम नहीं बनाया जाना चाहिए। सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे की बगावत के समय सरकार के साथ रहे विधायकों में से किसी को भी सीएम बनाया जाना चाहिए। विधायकों ने सचिन पायलट को सीएम बनाए जाने की आलाकमान की मंशा के खिलाफ किसी भी हद तक जाने की बात कही है।
गहलोत समर्थक विधायकों के कड़े रुख के कारण मुख्यमंत्री निवास पर रविवार शाम सात बजे होने वाली बैठक का समय तीन बार बदला गया। अंत में आठ बजे का समय तय किया गया, लेकिन फिर भी गहलोत समर्थक नहीं पहुंचे। बैठक में मात्र 28 विधायक ही पहुंचे। सोनिया की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन मुख्यमंत्री निवास पर विधायकों का इंतजार करते रहे। पायलट भी मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचे। गहलोत खेमा पायलट के स्थान पर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया या विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी में से किसी एक को सीएम बनाने के पक्ष में है। सूत्रों के अनुसार, गहलोत समर्थक अगले दो दिन में दिल्ली जाकर आलाकमान से मिल सकते हैं।
गहलोत खेमे ने पायलट के खिलाफ उनके खेमे द्वारा की गई बगावत को मुद्दा बनाया है। तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि आलाकमान को याद रखना चाहिए कि दो साल पहले भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश की गई थी। तब गहलोत ने 102 विधायको के साथ मिलकर सरकार बचाई थी। नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि जिन लोगों के कारण सरकार को खतरा हुआ था। उन्हे सीएम नहीं बनाना चाहिए, गहलोत ही सीएम रहें।
निर्दलीय विधायक व गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा कि अगर विधायकों की राय नहीं मानी गई तो सरकार को खतरा हो सकता है। लोढ़ा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधायकों की भावना के अनुरूप निर्णय नहीं होगा तो सरकार चलेगी। उनका यह बयान कांग्रेस आलाकमान को चुनौती माना जा रहा है।
कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा और खिलाड़ी लाल बैरवा ने धारीवाल के आवास पर हुई बैठक आपत्ति जताते हुए कहा इसको कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा,जब आलाकमान ने पर्यवेक्षक भेजे हैं। उससे पहले बैठक करने का क्या मतलब है। मलिंगा ने लोढ़ा और गर्ग के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जो कांग्रेस में नहीं हैं उन्हे पार्टी के अंदरूनी मामलों में नहीं बोलना चाहिए। अब तक गहलोत समर्थक रहे होमगार्ड मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और विधायक वाजिब अलीने कहा, हम आलाकमान के निर्णय के साथ हैं।
अशोक गहलोत ने कहा, सोनिया गांधी ने नौ अगस्त को ही इस्तीफे की पेशकश की थी. लेकिन सभी के आग्रह पर वह मान गई थी। उन्होंने कहा कि राजस्थान से मेरा अटूट प्रेम है। मुझे कांग्रेस ने बहुत कुछ दिया है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को आगे आना चाहिए। मैं 40 साल तक प्रमुख पदों पर रहा हूं। गहलोत ने रविवार को जैसलमेर में तनोट माता मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद मीडिया से कहा कि मैं प्रदेश के लोगों के सुख दुख में साथ रहा हूं।
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