एशिया कप में भारतीय टीम ने अपने दूसरे मैच में हॉन्गकॉन्ग के खिलाफ बड़ी आसानी से जीत दर्ज की. भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया. इस जीत के हीरो रहे सूर्यकुमार यादव (68) की ताबड़तोड़ पारी और विराट कोहली (59) की शानदार अर्धशतकीय पारी की बदौलत टीम ने 192 का बड़ा स्कोर बोर्ड पर लगा दिया. जवाब में हॉन्गकॉन्ग 152 रन ही बना सकी. भारत ने यह मैच 40 रन से जीत लिया.
मैच नहीं जीते लेकिन दिल जीत लिया
हालांकि, हॉन्गकॉन्ग क्रिकेट टीम भले ही इस मुकाबले को जीत नहीं पाई हो, लेकिन उनके खिलाड़ियों ने दिल जीत लिया. इस टीम के संघर्ष और त्याग ने उन्हें टूर्नामेंट तक पहुंचाया. Hong-Kong की क्रिकेट टीम के कई खिलाड़ी डिलीवरी बॉय का काम करते हैं. कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे जिन्होंने अपने जन्मजात बच्चे को अब तक नहीं देखा है.
अपने दूध मुंहे बच्चे से नहीं मिल पाए ये तीन खिलाड़ी
गौरतलब है कि साल 2018 के एशिया कप में हॉन्गकॉन्ग के खिलाफ भारत को जीतने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इस बार भी हॉन्गकॉन्ग की टीम काफी संघर्ष करने के बाद यहां तक पहुंची. टीम के खिलाड़ी एहसान खान, बाबर हयात और यासीम मुर्तजा हाल ही में पिता बने हैं. लेकिन, क्रिकेट की वजह से अभी तक उन्होंने अपने बच्चों को गोद में नहीं उठाया. वो उन्हें सिर्फ वीडियो कॉल के जरिए देख पाए हैं.
पिछले तीन महीने से कोई घर नहीं गया
उनके संघर्ष और त्याग का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि तीन महीने से हॉन्गकॉन्ग के खिलाड़ी अपने घर नहीं गए हैं. टीम ने पिछले तीन महीनों में आईसी इवेंट्स के चलते नामीबिया, युगांडा और न्यूजर्सी का दौरा किया. अभ्यास के लिए दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड गई. टी-20 विश्वकप और एशिया कप क्वालीफायर के लिए ओमान में रुकी रही. इसके बाद एशिया कप में सिलेक्ट होने के बाद UAE पहुंची है.
क्रिकेट खेलने के साथ करते हैं दूसरे काम
हॉन्गकॉन्ग के खिलाड़ियों ने क्रिकेट खेलने के लिए बहुत कुछ त्याग किया है. कई खिलाड़ी क्रिकेट खेलने के अलावा दूसरे काम भी करते हैं, क्योंकि क्रिकेट से मिलने वाले पैसों से उनका घर बड़ी मुश्किल से चल पाता है.
टीम के कोच ट्रेंट जॉनसन खिलाड़ियों के खेल के प्रति जुनून और उनके समर्पण से काफी प्रभावित हुए हैं. उन्होंने ESPN क्रिकइंफो से बातचीत के दौरान बताया, “हमारे खिलाड़ियों में ज्यादातर को क्रिकेट हॉन्गकॉन्ग से जो पैसा मिलता है, वो इतना नहीं है कि उनका घर चल सके. इसलिए खिलाड़ियों को मजबूरन दूसरे काम भी करने पड़ते हैं. खिलाड़ियों के पास क्रिकेट खेलने के लिए कम समय होता है.”
कोच जॉनसन ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान उन्हेंने 6 लॉकडाउन देखे. एक साल तक खिलाड़ी मैदान पर अभ्यास के लिए नहीं आ सके. वे अपने घर, कार पार्किंग और पार्क में वीडियो कॉल पर स्ट्रेंथ और कंडिशनिंग सेशन में शामिल रहे.उस दौरान उनके लिए काफी परेशानी वाला समय रहा जो क्रिकेट के अलावा परिवार का पेट भरने के लिए दूसरे काम भी करते हैं.
कोच ने जानकारी देते हुए बताया, “हमारे तीन से चार खिलाड़ी क्रिकेट की प्राइवेट कोचिंग देते हैं. वो क्लब से भी जुड़े हुए हैं. टीम के अधिकतर खिलाड़ी फ़ूड डिलीवरी का काम करते हैं. युवा तेज गेंदबाज आयुष शुक्ला अभी विश्विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. कुछ खिलाड़ी दूसरे काम करते हैं. स्कॉट मैकनी का अपना व्यापार है. वहीं उप-कप्तान किंचित शाह का हीरे का कारोबार है. तो इन दोनों को क्रिकेट के लिए ज्यादा समय मिल जाता है.”
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