केंद्र की मोदी सरकार ने 2016 में नोटबंदी के दौरान 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद कर दिया था। इसके बाद 500 और 2,000 रुपये के नोट जारी किए गए थे। उसी दौरान कई विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया था कि बड़े नोटों का हवाला देकर ही सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को बंद किया था। ऐसे में अब 2,000 के नोटों का प्रचलन शुरू करने से क्या लाभ है? अब ऐसी ही मांग भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने भी दोहराई है। उन्होंने सोमवार को राज्यसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2,000 रुपये के नोटों का आपराधिक गतिविधियों व अवैध व्यापार में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है। लिहाजा सरकार को इसे चरणबद्ध तरीके से बंद कर देना चाहिए।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘बाजार में गुलाबी रंग के 2,000 रुपये के नोटों का दर्शन दुर्लभ हो गया है। एटीएम से नहीं निकल रहा है और अफवाह है कि यह अब वैध नहीं रहा।’ उन्होंने सरकार से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। बता दें कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके तहत 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध घोषित कर चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार ने कुछ दिनों के बाद उनके स्थान पर 500 रुपए और 2,000 रुपए के नए नोट जारी किए थे।
अमेरिका में 100 डॉलर से ज्यादा का नोट नहीं, बंद हो प्रचलन
भाजपा सदस्य मोदी ने दावा किया कि पिछले तीन वर्ष से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी है और बड़ी संख्या में 2,000 रुपये के नकली नोट जब्त भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘बड़े पैमाने पर लोगों ने 2,000 के नोटों की जमाखोरी कर रखी है। केवल अवैध व्यापार में इसका इस्तेमाल हो रहा है। कुछ जगहों पर यह ब्लैक में भी मिल रहा है व प्रीमियम पर बिक रहा है।’ उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग सहित कई अपराधों में इन नोटों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। मोदी ने कहा कि दुनिया की सभी आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में बड़े नोटों का प्रचलन बंद हो गया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अधिकतम 100 डॉलर है और वहां भी 1,000 डॉलर के नोट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चीन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ में भी नोटों के अधिकतम मूल्य 200 तक ही है।
इंडोनेशिया में चलता है 1 लाख तक का नोट
बिहार के पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि केवल पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देशों में 5,000 के नोट हैं, जबकि इंडोनेशिया में एक लाख मूल्य तक के नोट प्रचलन में हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत में 2,000 के नोट के प्रचलन का अब कोई औचित्य नहीं है। अब तो सरकार डिजिटल लेनदेन को भी बढ़ावा दे रही है। इसलिए मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह चरणबद्ध तरीके से 2,000 के नोटों को धीरे-धीरे बंद कर दे।’ उन्होंने मांग की कि सरकार जनता को मौका दे ताकि वे एक या दो साल में 2,000 के नोटों को दूसरे नोटों से बदल लें।
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