समस्तीपुर :- आज विश्व एड्स दिवस है। हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को एचआईवी व एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करना है। हर साल इसके जागरूकता के लिए संकल्प भी लिया जाता है। साथ ही इसके प्रचार प्रसार व रोकथाम के नाम पर लाखों रुपए खर्च किया जाता है। इसके बावजूद समस्तीपुर में एचआईवी का संक्रमण थम नहीं रहा है।
एचआईवी संक्रमण एवं एड्स पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस कारण जिला रेड जोन में पहुंच गया है। नवजात से लेकर किशोर-किशोरी व युवा वर्ग भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। खासकर प्रसवारी मजदूर के परिवार की संख्या सर्वाधिक है। नतीजतन प्रत्येक महीने औसतन दो दर्जन से अधिक एचआईवी संक्रमित का मिलना जारी है। जनवरी से अक्टूबर तक जिले में दो सौ से अधिक एचआईवी संक्रमित की पहचान की गयी है।
इसमें लगभग 90 महिलाएं हैं। जबकि दर्जन भर से अधिक नाबालिक बच्चे भी इसकी चपेट में आ चुके हैं। जबकि पिछले वर्ष की तुलना में अब तक जिले में पचास अधिक मरीजों की पहचान हुई है। वर्ष 2021 में जिले में लगभग 160 पुरुष व सौ महिलाएं तथा 15 गर्भवती संक्रमित मिलीं। वहीं वर्ष 2020 में सौ से अधिक पुरुष एवं 80 महिलाएं व 13 गर्भवती संक्रमित पायी गयी।
सदर अस्पताल के एआरटी सेंटर में फिलहाल तीन हजार से अधिक एचआईवी व एड्स पीड़ित मरीज का इलाज चल रहा है। जानकारी के अनुसार एआरटी सेंटर में लगभग 1600 पुरुष एवं 14 सौ महिला संक्रमित मरीज प्रत्येक महीने दवा ले रही हैं। वहीं दो थर्ड जेंडर के अलावे लगभग डेढ़ सौ से अधिक लड़का एवं लगभग एक सौ लड़की भी एचआईवी संक्रमित हैं। इसें अधिकांश लड़का-लड़की के माता-पिता के संक्रमित के कारण जन्म से ही संक्रमित है। वहीं दर्जन भर युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आ गए हैं।
सदर अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच के दौरान प्रत्येक महीने गर्भवति महिलाएं भी एचआईवी संक्रमित मिल रही है। इस वर्ष अक्टूबर महीने तक लगभग दस महिला एचआईवी संक्रमित मिली है। जबकि वर्ष 2020 में 13 एवं वर्ष 2021 में 15 गर्भवति महिला सदर अस्पताल में जांच के दौरान संक्रमित मिली।
एचआईवी संक्रमण के बावजूद महिलाएं गर्भवती हो रही है। एक एनजीओ कर्मी ने बताया कि संक्रमित महिला की पहचान होने के बाद गर्भधारण करने से मना किया जाता है। ताकि बच्चे संक्रमित नहीं हो। साथ ही अगर गर्भवती महिला संक्रमित मिलती है तो उसे डॉक्टरों की निगरानी में प्रसव कराया जाता है, ताकि बच्चे को संक्रमण मुक्त के लिए प्रसव पूर्व एवं प्रसव बाद दवा दिया जा सके। लेकिन अधिकांश महिलाएं इसको छिपाकर जहां-तहां प्रसव कराती है। जिसके कारण बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
एनजीओ कर्मी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में काउंसलिंग के दौरान महिलाओं ने बताया कि उसके पति परदेश में रहते हैं। जहां से संक्रमित होकर आने के बाद पत्नी भी संक्रमित हुई। अधिकांश गरीब परिवार जागरुकता के आभाव में इसकी चपेट में आ रहे हैं।
सदर अस्पताल के डीएस डॉ. गिरीश कुमार ने बताया कि एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए हर लोगों को अपने पार्टनर के प्रति वफादार बनना होगा। साथ ही सुरक्षित यौन संबंध एवं जागरुकता ही उपाय है। संक्रमण से बचने के लिए पति-पत्नी को एक दूसरे के प्रति वफादार बनना होगा।
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