पाकिस्तानी सैन्य तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ का निधन, बंदूक के दम पर किया था राज
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पाकिस्तानी सैन्य तानाशाह पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का दुबई में निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक अमाइलॉइडोसिस बीमारी से जूझ रहे थे। मुशर्रफ को दिल और उम्र संबंधी दूसरी कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं। परवेज मुशर्रफ ने ही 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बिना बताए भारत के खिलाफ कारगिल युद्ध की शुरुआत की थी। उन्होंने सेनाध्यक्ष रहते तख्तापलट कर पाकिस्तान में मार्शल लॉ भी घोषित किया था।
سابق صدر جنرل (ر) پرویز مشرف انتقال کرگئے
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जनरल परवेज मुशर्रफ करगिल युद्ध के वक्त पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख थे। माना जाता है कि उन्होंने करगिल को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अंधेरे में रखा था। मुशर्रफ ने 1999 में उस वक्त सैन्य तख्तापलट किया जब नवाज शरीफ श्रीलंका में थे। बाद में उन्होंने खुद को पाकिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया।
पाकिस्तान में 12 अक्टूबर 1999 को पाक में हुआ था सैन्य तख्तापलट। इस रक्तविहीन क्रांति में नवाज पर श्रीलंका से आ रहे मुशर्रफ के विमान का अपहरण करने और आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाने के बाद गिरफ़्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें परिवार के 40 सदस्यों के साथ सऊदी अरब निर्वासित कर दिया गया था। 1997 के आम चुनावों में नवाज शरीफ की जीत हुई और उन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला। नवाज शरीफ ने जनरल परवेज मुशर्रफ को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया था।
जनरल परवेज मुशर्रफ श्रीलंका में थे तो नवाज शरीफ ने शक के आधार पर सेनाध्यक्ष के पद से हटा दिया। शरीफ ने मुशर्रफ के स्थान पर जनरल अजीज को चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाया। नवाज यहीं गलती कर बैठे और यह नहीं समझ पाए कि जनरल अजीज भी परवेज मुशर्रफ के ही वफादार हैं। आखिरकार शरीफ जिस सैन्य तख्तापलट की आशंका से घिरे थे वह हो ही गया।
दिल्ली में जन्मे परवेज मुशर्रफ
11 अगस्त 1943 को परवेज मुशर्रफ का जन्म दरियागंज नई दिल्ली में हुआ था। 1947 में उनके परिवार ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। विभाजन के महज कुछ दिन पहले ही उनका पूरा परिवार पाकिस्तान पहुंचा था। उनके पिता सईद ने नए पाकिस्तान सरकार के लिए काम करना शुरू किया और विदेश मंत्रालय के साथ जुड़े।
तुर्की में भी बीता जीवन
इसके बाद उनके पिता का तबादला पाकिस्तान से तुर्की हुआ, 1949 में ये तुर्की चले गए। कुछ समय यह अपने परिवार के साथ तुर्की में रहे, वहीं उन्होंने तुर्की भाषा बोलनी भी सीखी। मुशर्रफ अपने युवा काल में खिलाड़ी भी रहे हैं। 1957 में इनका पूरा परिवार फिर पाकिस्तान लौट आया। इनकी स्कूली शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई लहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज में हुई।