तस्वीर : फाइल
समस्तीपुर/चकमेहसी :- समस्तीपुर जिले से होकर गुजरने वाली बागमती नदी के जलस्तर में वृद्धि होने का सिलसिला शुरू हो चुका है। वहीं दूसरी नदी के वाटरवेज बांध की हालत अब भी जर्जर है, जिसे दुरूस्त नहीं किया जा रहा है। रामपारन से हायाघाट तक दर्जनों जगह बड़े-बड़े रेनकट बरकरार हैं। वहीं रामपारन से घोघराहा तक बांध की हालत पूरी तरह जर्जर है।
घोघराहा स्लुइस गेट के समीप तो बांध की सबसे अधिक खराब है। श्रीनाथ पारन ढाला से घोघराहा तक जगह जगह बड़े-बड़े रेनकट दिख रहे हैं। घोघराहा के ग्रामीणों ने बताया कि करोड़ों की लागत से बागमती वाटरवेज बांध पर मिट्टी व ईट-करण किया गया था। लेकिन समय-समय पर मरम्मत नहीं होने से बांध धूल में बदल गया है। जिससे लोगों का उससे आवागमन करना भी मुश्किल हो गया है।
ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ के समय रेनकट व चूहे की मांद से रिसाव होने लगता है। जिससे अफरातफरी मचती रहती है। उन्होंने बताया कि विभाग बाढ़ के समय बांध की मरम्मत की खानापूरी कर अपनी जिम्मेवारी पूरी कर लेता है। वहीं बाढ़ आने से पूर्व जर्जर तटबंध की मरम्मत और रेनकट पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझता है।
बता दें कि घोघराहा के सटे एक सिमर के पेड़ के पास 2002 व घोघराहा के बॉर्डर मलकौली में 2004 व 2007 में बागमती बांध टूटने से तबाही मची थी। जिससे कल्याणपुर प्रखंड के साथ वारिसनगर प्रखंड तक बाढ़ का पानी फैल गया था। इस साल भी पिछले तीन चार दिनों से बागमती के जलस्तर में हो रही वृद्धि से ग्रामीण बाढ़ की आहट से सशंकित होने लगे हैं। इस बाबत सीओ कमलेश कुमार ने बताया कि कुछ दिनो पूर्व डीएम के साथ विभागीय पदाधिकारी ने तटबंध का निरीक्षण किया था। जिसके बाद विभाग द्वारा रेनकट बने स्थल पर मिट्टी भरे बोरे डालकर तटबंध पर बने रेनकट को दुरुस्त करने का कार्य किया जा रहा है।
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