धोखेबाजों को 420 मत कहिएगा, हत्या के लिए 302 नहीं, बदलने वाली हैं IPC की धाराएं, जानिए कानून के नए कोड
धोखाधड़ी करने वाले को अब ”420” मत बोलिएगा, वहीं हत्या के लिए अब दफा ”302” का भी इस्तेमाल नहीं कीजिएगा…क्योंकि भारतीय दंड संहिता (IPC) की सारी धाराएं बदलने वाली हैं। सालों से सिनेमा, संवादों और आम बोलचाल की भाषा में हम इन धाराओं का इस्तेमाल करते आए हैं। लेकिन अब IPC की इन धाराओं को बदल दिए जाएंगे।
उदाहरण के लिए, सोचिए, आप हत्या के लिए “दफा 302”, धोखाधड़ी के लिए “420” और बलात्कार के लिए “376” आईपीसी की धाराएं जो इन अपराधों के लिए लागू की जाती हैं, अब आईपीसी भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita Bill) के तहत इन धाराओं को अलग-अलग कोड दिया जाएगा।
भारतीय न्याय संहिता बिल 2023 के तहत कानून में कई बदलाव किए गए हैं। आइए जानें अब किस अपराध के लिए कौन सी धारा लगेगी?
1. IPC धारा 420: धोखाधड़ी और बेईमानी से ली गई संपत्ति के लिए लगाई जाती है। इस धारा के तहत कारावास से दंडित किया जाएगा… जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
अब प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता बिल में 420 कोई धारा नहीं होगी। धोखाधड़ी के अपराध के लिए अब धारा ”316” का इस्तेमाल किया गया है।
धारा 316 (1) कहती है, “जो कोई, किसी व्यक्ति को धोखा देकर, धोखाधड़ी या बेईमानी से व्यक्ति की संपत्ति लेता हो, या जानबूझकर उस व्यक्ति को ऐसा कुछ भी करने या करने के लिए प्रेरित करता है जो वह नहीं करेगा, या जो कार्य या गलती उस व्यक्ति के शरीर, मन, प्रतिष्ठा या संपत्ति को क्षति या नुकसान पहुंचाती है या होने की संभावना है, उसे “धोखा देना” कहा जाता है।
धारा 316(2), (3), और (4) के तहत, धोखाधड़ी के लिए सजा तीन साल, पांच साल या सात साल तक बढ़ सकती है, साथ ही जुर्माना भी हो सकता है।
2. IPC धारा 302: आईपीसी की धारा 302 में हत्या के लिए सजा निर्धारित की गई है, “जो कोई भी हत्या करेगा उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा।”
अब प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता बिल में धारा 302 का “स्नैचिंग” के अपराध के लिए होगी। धारा 302 (1) कहती है, चोरी, छीनना, या अगर चोरी करने के लिए, अपराधी अचानक या जल्दी या जबरन किसी व्यक्ति के चल संपत्ति को ले लेता या छीन लेता है।”
3. प्रस्तावित संहिता में, हत्या को धारा 99 के अंतर्गत शामिल किया गया है, जो गैर इरादतन हत्या और हत्या के बीच अंतर के लिए है।
4. हत्या की सजा धारा 101 में निर्धारित की गई है, जिसमें दो उप-धाराएं हैं। धारा 101 (1) कहती है, “जो कोई भी हत्या करेगा उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना लगाया जाएगा।”
प्रस्तावित संहिता की धारा 101 (2) कहती है: “जब पांच या अधिक व्यक्तियों का समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है। तो ऐसे समूह के सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास या सात साल से कम अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना लगाया जा सकता है। यह दूसरा उप-भाग एक समूह द्वारा हत्या को संदर्भित करता है, जिसमें लिंचिंग भी शामिल होगी।
5.IPC धारा 307: हत्या का प्रयास, लेकिन प्रस्तावित संहिता 2023 में धारा 307 डकैती के अपराध और उसके लिए सजा का वर्णन करती है। प्रस्तावित संहिता के तहत अब हत्या का प्रयास धारा 107 के अंतर्गत आता है, जो अपराध के लिए सजा भी निर्धारित करता है।
6.IPC धारा 375 और 376 बलात्कार: आईपीसी की धारा 375 बलात्कार के अपराध को परिभाषित करती है और बताती है कि बलात्कार क्या होता है। आईपीसी की धारा 376 में बलात्कार के लिए सजा तय की गई है, जो सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक है, जिसमें कुछ प्रकार के दोषियों के लिए अलग कठोर सजा शामिल है।
लेकिन अब प्रस्तावित संहिता 2023 में धारा 376 नहीं है। अब प्रस्तावित संहिता की धारा 63 के तहत बलात्कार के अपराध को परिभाषित किया गया है। प्रस्तावित संहिता में जबरन यौन संबंध की सात शर्तों को बरकरार रखा गया है, जो आईपीसी के तहत बलात्कार का अपराध है।
वैवाहिक बलात्कार के अपवाद को भी बरकरार रखा गया है।
7. IPC धारा 120B आपराधिक साजिश के लिए है। लेकिन अब प्रस्तावित संहिता 2023 में धारा 120 “उकसाने पर जानबूझकर चोट पहुंचाने या गंभीर चोट पहुंचाने” से संबंधित है।
अब आपराधिक साजिश के लिए धारा 61(1) है। प्रस्तावित संहिता की धारा 61(2) आपराधिक साजिश के लिए सजा का प्रावधान करती है।
8. IPC धारा 124A राजद्रोह को संबोधित करता है। अब प्रस्तावित संहिता 2023 में धारा 124 गलत तरीके से रोकने के अपराध से संबंधित है। प्रस्तावित संहिता में राजद्रोह शब्द मौजूद नहीं है।
9. IPC धारा 499 मानहानि के लिए है। आईपीसी की धारा 500 में मानहानि के लिए सजा का प्रावधान है। अब प्रस्तावित संहिता 2023 में धारा 499 नहीं है।
मानहानि का अपराध नई संहिता की धारा 354 (1) के अंतर्गत आता है। वहीं धारा 354 (2) मानहानि के लिए दंड का प्रावधान है।
10. IPC धारा 153A विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने को संबोधित करता है। अब प्रस्तावित संहिता 2023 में धारा 153 और 154 में युद्ध या लूटपाट द्वारा ली गई संपत्ति प्राप्त करने के अपराध का वर्णन है। प्रस्तावित संहिता में शत्रुता को बढ़ावा देने का अपराध धारा 194 के अंतर्गत आता है।
नोट: हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ये नए अभी फिलहाल फाइनल नहीं है। स्थायी समिति द्वारा विधेयक पर विचार किए जाने और संसद में बहस के बाद ये बदल सकते हैं।