शराब धंधेबाज व पुलिस का पहले से रहते आया है गठजोड़, समस्तीपुर SP द्वारा तस्करों के नेक्सस को खत्म करने की कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में भी मचा हुआ है हड़कंप
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समस्तीपुर :- बिहार में शराबबंदी कानून लागू कराने के लिए पुलिस की चौकसी और सख्ती के बावजूद समस्तीपुर में शराब के धंधे का बड़ा-बड़ा नेटवर्क तैयार हो चुका है। वहीं शराब के धंधे पर शिकंजा कसने में कुछ पुलिस अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। लोगों का हमेशा से आरोप रहा है कि शराब धंधेबाज व पुलिस का पुराना गठजोड़ रहा है।
ऐसे में अब एसपी विनय तिवारी ने ऐसे थानेदारों पर कार्रवाई शुरू कर दी है जिसका सांठ-गांठ शराब कारोबारियों के साथ है। एक के बाद एक थानाध्यक्षों पर निलंबन की कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। एसपी विनय तिवारी ने जिले में योगदान करने के बाद शराब की तस्करी पर शिकंजा कसने एवं अपराध नियंत्रण के लिए सभी पुलिस अधिकारियों को कई टास्क दिया था, लेकिन अब भी कुछ पुलिस पदाधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं।
दो दिनों पहले कल्याणपुर व चकमेहसी थानाध्यक्ष को एसपी ने शराब कारोबारी पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर निलंबित कर दिया है। वहीं इससे पहले कर्पूरीग्राम की महिला थानाध्यक्ष पर भी एसपी ने निलंबन की कार्रवाई की थी। पिछले चार महीने में तीन थानाध्यक्षों पर शराब मामले में लापरवाही बरतने के कारण निलंबन की कार्रवाई की जा चुकी है, ऐसे में पुलिस महकमे में हड़कंप सा मचा हुआ है।
लापरवाही बरतने वाले पुलिस पदाधिकारी एसपी की लगातार हो रही कारवाई के बाद संभले हुए हैं। वहीं जिले वासियों ने एसपी के इस कारवाई को सराहा है। लोगों का हमेशा से आरोप रहा है की पुलिस के गठजोड़ से ही क्षेत्र में शराब की खेप पहुंचती है और इसका धंधा जोर-शोर से चल रहा है।
रेल पुलिस का भी शराब धंधेबाज के साथ रहा है गठजोड़:
समस्तीपुर में शराब धंधेबाज व रेल पुलिस के गठजोड़ के कारण थानाध्यक्ष सहित पूरे थाना के कर्मियों को इसका सजा भुगतना पड़ा है। लगभग एक वर्ष पूर्व समस्तीपुर रेल थाना में रेल एसपी के निर्देश पर दो-दो डीएसपी के नेतृत्व में छापेमारी की गयी थी। जिसके बाद थाना से काफी मात्रा में अवैध शराब बरामदगी की गयी थी।
जिसमें एक सिपाही को तत्काल गिरफ्तार भी किया गया था। इसमें जीआरपी के एक सिपाही व शराब के धंधेबाजों के बीच गठजोड़ था, जिसके कारण थाना से ही शराब को बेचा जा रहा था। जिसकी सूचना पर छापेमारी की गयी थी। इसके बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष नंद किशोर सिंह को सेवा से बर्खास्त होना पड़ा था। वहीं रेल थाना में कार्यरत लगभग 90 पुलिस अधिकारी व कर्मियों को पुलिस लाइन क्लोज कर दिया गया था।