पूर्वोत्तर भारत में पहली बार ड्रोन पायलट के ट्रेनिंग की शुरुआत समस्तीपुर के केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में…
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समस्तीपुर :- डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में पूर्वोत्तर भारत में पहली बार ड्रोन पायलट के ट्रेनिंग की शुरुआत की गयी है। ड्रोन पायलट के पहले बैच के कोर्स की समाप्ति और सर्टिफिकेट वितरण को लेकर विश्वविद्यालय में एक समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में बोलते हुये कुलपति डॉ. पीएस पांडेय ने कहा कि ड्रोन के क्षेत्र में कृषि में अपार संभावनाएं हझ। उन्होनें कहा कि आने वाले समय मे कृषि का स्वरुप बदलने वाला है। इसी को ध्यान में रखकर विश्वविद्यालय डिजिटल एग्रीकल्चर के सभी स्वरूप पर विशेष ध्यान दे रहा है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में डिजिटल एग्रीकल्चर को लेकर जल्द ही एक नया स्कूल खोलने का भी प्रयास किया जा रहा है। डॉ. पांडेय ने बताया कि केंद्र सरकार के सहयोग से विश्वविद्यालय में डिजिटल एग्रीकल्चर पर एक विशिष्ट प्रयोगशालाओं की भी स्थापना की जा रही है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रिमोट के माध्यम से करेंगे।
डॉ. पांडेय ने बताया कि ड्रोन पायलट को पायलट लाइसेंस देने वाली भारत सरकार की एक मात्र संस्था डीजीसीए से भी लाइसेंस दिया जायेगा। उन्होने कहा कि ड्रोन पायलट की इतनी अधिक मांग है कि जिन लोगो ने ट्रेनिंग समाप्त की है उन्हें आज से ही नौकरी का आफर भी मिल गया है। उन्होंने कहा कि विश्व विद्यालय पूरे देश में डिजिटल एग्रीकल्चर मेॆ लीड रोल अदा करना चाहता है। ड्रोन रिपेयरिंग और मेंटेनेंस को लेकर भी जल्द ही प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की जायेगी।
अभियंत्रण महाविद्यालय के डीन डॉ. अम्बरीष कुमार ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक देश में आने वाले समय में दस लाख से अधिक ड्रोन पायलट की आवश्यकता है। कुलपति डिजिटल कृषि को लेकर बहुत गंभीर है और इन्होंने कई ऐसे निर्णय लिये हैं जिसके परिणामस्वरूप देश भर में विश्वविद्यालय एक अग्रणी संस्था बनकर उभरेगा और कृषि के आधुनिकीकरण मे नया इतिहास लिखेगा।
कार्यक्रम को निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एमएस कुंडू, निदेशक शिक्षा डॉ. पीके झा तथा निदेशक शोध डॉ. एके सिंह ने भी संबोधित किया और अपने विचार रखे। कार्यक्रम में निदेशक योजना डॉ. एसके समीर, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस के जैन, डॉ. राम सुरेश वर्मा, पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ. राकेश मणि शर्मा, डॉ. राम दत्त, डॉ. कुमार राज्यवर्धन समेत विभिन्न वैज्ञानिक एवं शिक्षक उपस्थित रहे।
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