समस्तीपुर शहर में बढ़ती गंदगी के कारण तेजी से बढ़ रहे मच्छर, नगर निगम द्वारा नहीं की जा रही नियमित फॉगिंग
यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े
समस्तीपुर :- शहर में बढ़ती गंदगी के कारण मच्छर तेजी से बढ़ रहे हैं। रात के अलावा दिन में भी मच्छर से लोग परेशान हैं। फिर भी शहर के वार्डों में नियमित फॉगिग नहीं हो रही है। लोगों का कहना है कि जितनी गंदगी शहर में हमेशा बनी रहती है उसमें शहर में नियमित रूप से फॉगिंग कराने की आवश्यकता है। शहर में कभी-कभार फॉगिंग करायी भी जाती है फिर आगे फॉगिंग कब होगी, यह अनश्चिति रहता है।
फॉगिग जब कभी भी शहर के अंदर करायी जाती रही है तो विशेष परस्थिति में ही। जैसे किसी महामारी के फैलने पर नगर निगम को जिला प्रशासन से आदेश मिलने पर। कोरोना फैलने के समय भी फॉगिग करायी गई थी। कुछ महीने पूर्व पर भी महामारी में फॉगिग करायी गई थी। गौरतलब है कि पूर्व में फॉगिग जब भी करायी गई, पहले ऑफिसर्स कालोनियों से ही इसकी शुरुआत की जाती है। वहां खत्म होने के बाद खास -खास वार्ड में मुख्य सड़क पर फॉगिग कर फॉगिग का अभिभान खत्म हो जाता है। सभी वार्डो के अंदर के मुहल्लों में फॉगिग पहुंचती ही नहीं है।
चार फॉगिग मशीनों से 47 वार्डों की फॉगिग :
नगर निगम बने हुए एक साल से अधिक हो रहे हैं फिर भी नगर निगम के पास जरूरत के अनुसार भी फॉगिग मशीन उपलब्ध नहीं हैं। मात्र पांच फॉगिंग मशीन सही हालत में है। बाकी 20 मशीन खराब पड़ी हुई है और नगर निगम में शोभा की वस्तु बनी हुई हैं। ना नई फॉगिग मशीन खरीद हो रही है ना खराब मशीनों को दुरुस्त ही कराया जा रहा है। शहर के 47 वार्डों के लिए कम से कम 47 फॉगिंग मशीन की दरकार है। एक वार्ड की फॉगिग में कम से कम चार दिन लगते हैं। इस हालत में समझा जा सकता है कि 47 वार्डों की फॉगिंग पूरा होने में कितने दिन लगते होंगे।
मशीनों की रखरखाव भी सही नहीं :
नगर निगम के पास उपलब्ध चार छोटी व एक बड़ी फॉगिग मशीनों का रखरखाव भी सही से नहीं होता है। इसके कारण हमेशा यह खराब होती रहती है। जब भी फॉगिग करने के लिए इन मशीनों को तैयार की जाती है तो उनमें कुछ न कुछ तकनीकी समस्या आती रहती है। ऐसे में फॉगिंग अभिभान को बीच में ही रोक कर पहले इनको दुरुस्त करने में कर्मी लग जाते हैं। यह समस्या पिछले हर फॉगिग अभिभान में देखा गया है।
मशीनों को चलाने के लिए एक्सपर्ट भी नहीं :
नगर निगम की फॉगिंग मशीनों को चलाने के लिए नगर निगम में आज तक एक भी एक्पर्ट उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं। उनकी जगह दूसरे कर्मी इन मशीनों को उपयोग करते हैं। जिसमें हर समय खतरा बनी रहती है। ये मशीनें पेट्रोल व डीजल के साथ रसायन के मश्रिण वाले घोल से चलती हैं। जिसमें थोड़ी भी असावधानी से चलाने वाले के शरीर को जला सकने की शक्ति होती है। ऐसे में इसे चलाने वाले कर्मी रास्ते में ही जमीन पर गिरा कर अपनी जान बचाने लगते हैं।