समस्तीपुर :- बिहार राज्य के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक समस्तीपुर अनुसूचित जाति (SC) के लिए सुरक्षित सीट है. समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में समस्तीपुर जिले के चार और दरभंगा जिले का दो विधानसभा क्षेत्र शामिल है. इनमें समस्तीपुर जिले का कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर, रोसड़ा और दरभंगा जिले का कुशेश्वर स्थान और हायाघाट विधानसभा सीट शामिल है. समस्तीपुर पहले सामान्य सीट था. साल 2009 में नए परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया.
बिहार के कृषि प्रधान समस्तीपुर जिला में बड़े पैमाने पर सब्जी और मसालों की खेती होती है. समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण के हिसाब से कुशवाहा और यादव जाति की आबादी ज्यादा है. हालांकि, अगड़ी जाति, अनुसचित जाति और मुसलमानों की संख्या भी कम नहीं हैं. इसके अलावा अति पिछड़े वोटर भी चुनाव को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं. इन पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की निगाहें रहती हैं.
लोकसभा क्षेत्र में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है. समस्तीपुर में उद्योग के नाम पर हसनपुर चीनी मिल और कल्याणपुर रामेश्वर जूट मिल है. चीनी मिल तो नियमित चलती है, लेकिन जूट मिल कभी बंद होता है तो कभी चलता है. वहीं अन्य उद्योग अब वह पूरी तरह बंद हो चुकी है. इसके बाद समस्तीपुर में कोई नई फैक्ट्री नहीं खुल सकी है. बूढ़ी गंडक, बागमती, गंगा, कोसी, कमला और बलान नदियों से घिरे लोकसभा क्षेत्र में बाढ़ सबसे बड़ी बुनियादी समस्या है.
2011 की जनगणना के अनुसार, समस्तीपुर (एससी) लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाता 17,48,865 हैं. इनमें एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 341,029 है. कुल वोटर का यह लगभग 19.5 फीसदी हिस्सा है. समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में सवर्ण 16 फीसदी और यादव करीब 11 प्रतिशत हैं. वहीं, महज 0.1 फीसदी एसटी मतदाता हैं. इनकी आबादी लगभग 1,749 है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 12.6 फीसदी यानी 220,482 है.
वोटर लिस्ट के एनालिसिस करने पर सामने आए आंकड़ों के मुताबिक समस्तीपुर (एससी) लोकसभा सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 16,63,171 यानी लगभग 95.1 प्रतिशत है. वहीं, शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 85,694 यानी लगभग 4.9 फीसदी है. लोकसभा क्षेत्र में फिलहाल 2517 बूथ हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में यहां 60.9 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था.
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा सीटों में से जदयू को तीन कुशेश्वरस्थान से शशिभूषण हजारी, कल्याणपुर से महेश्वर हजारी, वारिसनगर से अशोक कुमार और भाजपा को दो रोसड़ा से विरेंद्र कुमार और हायाघाट से राम चंद्र प्रसाद और राजद को एक समस्तीपुर से अख्तरुल इस्लाम शाहीन जीत को मिली थी. कुशेश्वरस्थान के विधायक शशि भूषण हजारी के निधन हो जाने बाद 2021 में हुए उप चुनाव में जदयू ने उनके बेटे अमन भूषण हजारी को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की.
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 में 12 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था, लेकिन मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच हुआ था. लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार राम चंद्र पासवान ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी. उन्होंने लोकसभा क्षेत्र के सभी छह विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल कर अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अशोक राम को पटखनी दी थी. दिलचस्प बात है कि नोटा तीसरे स्थान पर रहा था.
विजयी होने के कुछ महीनों के बाद रामचंद्र पासवान का निधन हो गया. इसके बाद हुए उप चुनाव में उनके बेटे प्रिंस राज चुनाव मैदान में उतरे थे. कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. अशोक राम को अपने पिता की तरह ही प्रिंस राज ने भी लोकसभा सीट की सभी विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल कर मात दी. इस बार तीसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी सूरज कुमार दास थे. वहीं, नोटा को चौथा स्थान मिला था.
समस्तीपुर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 2019 तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका है. देश में आपातकाल लगने से पहले 1952 से 1971 तक इस सीट पर हुए 5 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने लगातार जीत का पहचम लहराया था. वहीं, आपातकाल के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हुए 12 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ एक बार जीत पाई है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस के रामदेव राय 1984 में लोकसभा चुनाव जीत गए थे. उन्होंने लोक दल के उम्मीदवार कर्पूरी ठाकुर को हरा दिया था. इसके अलावा 1977 से बाद से अब तक समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में समाजवाद के नेताओं का दबदबा रहा है.
समस्तीपुर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 2019 तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका है. देश में आपातकाल लगने से पहले 1952 से 1971 तक इस सीट पर हुए 5 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने लगातार जीत का पहचम लहराया था. वहीं, आपातकाल के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हुए 12 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ एक बार जीत पाई है. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस के रामदेव राय 1984 में लोकसभा चुनाव जीत गए थे. उन्होंने लोक दल के उम्मीदवार कर्पूरी ठाकुर को हरा दिया था. इसके अलावा 1977 से बाद से अब तक समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में समाजवाद के नेताओं का दबदबा रहा है.
आगामी 2024 लोकसभा चुनाव की बात करें तो महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बिहार के रहने वाले कर्नाटक के पूर्व डीजीपी बीके रवि इस सीट से सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे है, वहीं समस्तीपुर नगर निगम की अध्यक्ष अनिता राम भी इस रेस में शामिल है. हालांकि महागठबंधन से आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री श्याम रजक पिछले एक वर्षों से सक्रिय रूप से क्षेत्र भ्रमण कर रहे है. वहीं एनडीए की बात करें तो यह सीट अब तक लोजपा के कोटे में है. हालांकि इस सीट पर प्रिंस राज और चिराग गुट अपनी अपनी दावेदारी करती नजर आ रही है. चिराग गुट से महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी के भी लड़ने की चर्चा है.
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