समस्तीपुर : 15 मार्च को हुए BPSC TRE-3 शिक्षक बहाली परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के बाद अब पूरे मामले की जांच EOU कर रही है। इस पेपर लीक मामले में EOU के द्वारा अब तक दर्जनों लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर चुकी है। वहीं समस्तीपुर के विजेंद्र गुप्ता को भी EOU तलाश कर रही है। विद्यापति नगर थाना क्षेत्र के मऊ बाजार शेरपुर गांव का रहने वाला विजेंद्र गुप्ता एक मध्यम वर्गीय परिवार से तालुकात रखता है।
इसके पिता और भाई आटा चक्की और तेल पिराई का काम करते हैं। विजेंद्र की शिक्षा दीक्षा गांव में ही हुई है। जिसके बाद वो पढ़ाई के लिए बेगूसराय चला गया। वहां एक हत्याकांड के मामले में लगभग डेढ़ 2 वर्षों तक जेल की सजा भी कट चुका है। हालांकि बाद में वह उस केस में वह बरी हो गया था। इससे पहले भी पेपर लीक मामले में उसका नाम उजागर हुआ था। जानकारों का बताना है कि रेलवे के अलावा कई विभागों में इसने काफी लोगों को नौकरियां लगवाई है।
परिजनों का बताना है कि काफी वर्षो से वह अपने गांव नहीं लौटा है। विजेंद्र के भाई का बताना है कि पिछले वर्ष मां के निधन पर वह कुछ समय के लिए आया था। लेकिन उसके बाद वह अपने घर नहीं आया और ना ही परिवार के लोगों के संपर्क में है। विजेंद्र के भाई और पिता का कहना है कि उसे इस मामले में फंसाया जा रहा है। जानकारों की मानें तो विजेंद्र गुप्ता पूर्ण रूप से शिक्षा माफिया है। वह उड़ीसा में भी पेपर लीक मामले में पहले जेल जा चुका है। वहीं दानापुर थाने के एक मामले में फरार चल रहा है।
इधर सूत्रों की माने तो BPSC के कुछ अधिकारी और कुछ सफेदपोश भी जांच के घेरे में है। परीक्षा माफियाओं के मोबाइल की सीडीआर विश्लेषण में कुछ संदिग्ध नंबर भी मिले हैं। उनसे परीक्षा से पहले और बाद में लंबी बातचीत का साक्ष्य भी मिला है।
बता दें कि गिरोह ने शिक्षक बहाली परीक्षा के लिये 500 अभ्यर्थियों से संपर्क साधा था और 10-10 लाख रुपए पर परीक्षा में सफलता दिलाने का गिरोह ने ठेका लिया था। वैशाली का रहनेवाला विशाल चौरसिया शिक्षक बहाली पेपर लीक कांड का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिस प्रिंटिंग प्रेस में सिपाही बहाली का प्रश्न पत्र छपा था उसी में बिहार शिक्षक बहाली भर्ती परीक्षा TRE-3 का भी प्रश्नपत्र छपा था। BPSC शिक्षक भर्ती परीक्षा प्रश्न पत्र लीक करने वाले गिरोह का सरगना विशाल चौरसिया ही सिपाही बहाली का प्रश्न पत्र में लीक किया था. आर्थिक अपराध इकाई के सामने गिरफ्तारी के बाद उसने खुलासा किया है।
EOU द्वारा गिरफ्तार किए गए विशाल चौरसिया के पास से जब्त प्रश्न पत्र में बारकोड नहीं होने का मामला सामने आया है। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि बारकोड प्रिंट होने से पहले ही प्रश्न पत्र माफियाओं तक पहुंच गया था। माना जा रहा है कि SIT और आर्थिक अपराध इकाई की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिंग टीम आने वाले दिनों में इस मामले में प्रिंटिंग प्रेस के मालिक और BPSC के कुछ कर्मचारियों से भी पूछताछ कर सकती है।
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