राज्य में डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) की पढ़ाई के लिए मान्यता मिलने वाले अस्पताल और स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या 3 से बढ़कर अब 5 हो गई। अभी भोजपुर के कोइलवर स्थित बिहार मानसिक स्वास्थ्य एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (बिम्हास) को डीएनबी के तहत 4 सीटें मिलीं हैं। साइकेट्री के लिए 3 डिग्री और एक पोस्ट डिप्लोमा की मान्यता दी गई है। अब एक और अस्पताल समस्तीपुर सदर अस्पताल को पेडियाट्रिक्स के लिए दो सीटों की मान्यता मिली है।
इसके पहले डीएनबी में मोतिहारी सदर अस्पताल को 6 सीट, सीतामढ़ी को 2 और एलएनजेपी हड़्डी अस्पताल में 4 सीट मिली थी। स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि राज्य के 33 जिला अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई शुरू हो जाए। 33 अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई शुरू होने से लगभग 150 सीटें बढ़ जाएंगी।
गोपालगंज और सारण सदर अस्पताल में पैड्रियाट्रिक्स में, वैशाली, लखीसराय और औरंगाबाद सदर अस्पताल को गाइनेकोलॉजी में, भोजपुर और बेगूसराय को एनेस्थीसिया में, भागलपुर और मंगेर को मेडिसिन में डीएनबी की मान्यता मिलेगी। प्रत्येक अस्पताल को नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन फॉर मेडिकल साइंसेस के माध्यम से डीएनबी की मान्यता मिलती है। नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन फॉर मेडिकल साइंसेज की टीम सदर अस्पतालों का निरीक्षण पूरा कर लिया है।
निरीक्षण के बाद रिपोर्ट सकारात्मक बताई जा रही है। इसलिए तीन से चार माह के अंदर ही इन अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई की अनुमति मिलने की पूरी संभावना है। डीएनबी के लिए साल में दो बार आवेदन लिया जाता है। अब तक बांका सहित लगभग दो दर्जन अस्पतालों ने आवेदन किया है। आवेदन की तिथि 30 अप्रैल तक बढ़ाई गई थी। डीएनबी की राज्य स्तरीय स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में अनुशंसा की गई थी कि डीएनबी से जुड़े डॉक्टरों का तबादला नहीं किया जाए।
चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पतालों को लाभ होगा। अध्ययनरत चिकित्सक एमबीबीएस डिग्रीधारी होंगे, जो अस्पताल में अपनी सेवा देंगे। इससे मरीजों को सुविधा होगी। यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने वाले चिकित्सक नीट पास कर डीएनबी पाठ्यक्रम में नामांकन करवा सकेंगे। डीएनबी की पढ़ाई शुरू करने को लेकर क्लास-रूम, लाइब्रेरी आदि का निर्माण होगा। साथ ही अकाउंटेंट, डिपार्टमेंटल मैनेजर, डाटा ऑपरेटर, चतुर्थवर्गीय व सुरक्षा गार्ड आदि भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
डीएनबी में डिग्री तीन वर्ष का जबकि डिप्लोमा दो वर्ष का होता है। इसके शुरू होने से बिहार तथा बिहार से बाहर एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्र जिला सदर अस्पतालों में पढ़ने आएंगे। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ सरकार की ओर से हर महीने अतिरिक्त भत्ता भी मिलेगा।
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