गंगा नदी खतरे के निशान से तीन फीट ऊपर, समस्तीपुर जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर…
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समस्तीपुर :- जिले में बाढ़ का खतरा धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। गंगा का जलस्तर जहां खतरे के निशान से तीन फीट उपर चल रही है। वहीं बुढ़ी गंडक व बागमती नदी समेत अन्य नदियों के पानी का जलस्तर बढ़ने लगा है। बागमती में जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण जिला प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड में आ गया है। मोहनपुर में गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण आयी बाढ़ ने निर्माणाधीन सड़क को कहीं खाई तो कहीं समतल में बदल दिया है।
बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन सड़क के निर्माण से संबद्ध इंजीनियरों व अधिकारियों की अदूरदर्शिता की पोल खोलकर रख दी है। राजपुर-जौनापुर के ग्रामीणों ने 2017 में सड़क में मिट्टी भराई का काम रोक दिया था। ग्रामीणों का कहना था कि गंगा नदी में आनेवाली भयंकर बाढ़ के मद्देनजर इसमें बाढ़ के पानी के निकास के लिए पर्याप्त संख्या में बड़े-बड़े पुल बनाये जाएं। अन्यथा बड़ी बाढ़ आने पर राजपुर-जौनापुर व डुमरी दक्षिणी पंचायत पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूब जायेंगी।
ग्रामीणों और अधिकारियों के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई थी। बावजूद अधिकारियों और अभियंताओं ने मामूली-मामूली अपर्याप्त संख्या में पुलिया का निर्माण कराकर अपना पल्ला झाड़ लिया। आबादी वाले क्षेत्र में फोरलेन सड़क से पश्चिम का जलस्तर और दबाव फोरलेन सड़क से पूरब की अपेक्षा बहुत अधिक हो गया। जौनापुर से मटिऔर जानेवाली सड़क और फोरलेन सड़क के मिलान-स्थल को 250 से 300 फीट तक लंबाई में पचास फीट गहरी खाई में तब्दील कर दिया है।
वहीं जौनापुर से बिनगामा जानेवाली पीडब्लूडी सड़क के मिलान-स्थल के दोनों तरफ लंबी दूरी में सड़क की भराई वाली मिट्टी को पानी की तेज धारा बहाकर ले गयी। ग्रामीण बताते हैं कि अगर इन स्थलों पर यह सड़क नहीं टूटती तो राजपुर-जौनापुर व डुमरी दक्षिणी पंचायतों में बाढ़ की स्थिति और भयावह हो जाती। पहले तो लोग खुश थे कि इस पुल और सड़क के बनने से क्षेत्र के विकास के रास्ते खुलेंगे लेकिन अब उनको लग रहा है कि कहीं इन पंचायतों के विनाश का ही न रास्ता खोल दे।