समस्तीपुर :- समस्तीपुर में शिक्षक बहाली में फर्जीवाड़ा का मामला सबसे पहले Samastipur Town Media के द्वारा उजागर किया गया था, जिसके बाद लगातार जांच चल रही है। बहाली में गड़बड़ी मामले की जांच के क्रम में शुक्रवार को जिला प्रशासन ने दो हेडमास्टर और एक दलाल को गिरफ्तार किया है। सभी को समस्तीपुर नगर थाने की पुलिस के हवाले कर दिया गया है। जिले के अपर समाहर्ता (आपदा) राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में जिला प्रशासन की जांच टीम ने फर्जी तरीके से बहाली मामले की जांच के क्रम में संदेह के घेरे में आए स्कूलों के एचएम व शिक्षकों को जांच के लिए बुलाया था। वहीं से तीनों को पुलिस की कस्टडी में भेज दिया गया। पुलिस सभी से पूछताछ कर रही है।
जानकारी के अनुसार, विभूतिपुर प्रखंड के पुरूषोत्तमपुर प्राथमिक विद्यालय के एचएम दिलीप राम से पूछताछ में प्रशासन की टीम को शक हुआ। जिसके बाद उससे कड़ाई से पूछताछ की गयी। गलत तरीके से शिक्षक की बहाली कराने में दलाल की भूमिका निभाने वाला परवेज भी आया था। अधिकारियों ने उसे भी बुलाया। इसके अलावा शिक्षक दिलीप राम का सहयोग करने के आरोप में प्राथमिक विद्यालय नवटोलिया के हेडमास्टर अविनाश कुमार टंडन को भी अधिकारियों ने गिरफ्तार कर नगर थाने की पुलिस के हवाले कर दिया।
इस संबंध में अपर समाहर्ता राजेश कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासन की टीम शिक्षक बहाली में गडबड़ी की गंभीरता से जांच कर रही है। तत्कालीन डीएम योगेंद्र सिंह ने जांच कमेटी का गठन किया था। पूछताछ में पुरूषोत्तमपुर प्राथमिक विद्यालय के एचएम दिलीप राम ने गुमराह करने का प्रयास किया। उसी क्रम में गहन पूछताछ में परवेज नाम के दलाल के माध्यम से निकहत परवीन की बहाली कराने का मामला पता चला।
नवटोलिया प्राथमिक विद्यालय के एचएम अविनाश कुमार टंडन ने कार्यालय में दिलीप राम की पैरवी कर रहा था। उन्होंने बताया कि फर्जीवाड़ा किया गया है। गलत तरीके से कितने लोगों की बहाली हुई है इसकी संख्या जांच के बाद ही बताया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसमें कोई गिरोह काम कर रहा है जिसकी भी जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की भी भूमिका की जांच की जा रही है। जांच पूरी होने पर ही कुछ बताया जा सकेगा।
शिक्षक बहाली में जांच को लेकर प्रशासन ने जिला आपदा कार्यालय में सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था कर रखी थी। विभूतिपुर प्रखंड के जिन 18 स्कूलों के एचएम को बहाली से संबंधित सभी कागजात के साथ बुलाया गया था, उन सभी को पुलिस की कड़ी निगरानी में रखा गया था। किसी को कमरे से बाहर जाने की भी अनुमति नहीं थी। जांच की कार्रवाई के दौरान शिक्षा विभाग के भी कई अधिकारी उपस्थित थे।
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