समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

SamastipurNEWS

फजीहत के बाद रेलवे ने बदला जवाब, कहा-एक नहीं महीने में दो बार धुलते हैं कंबल…फिर भी तो 15 यात्री ओढ़ चुके हैं, हाइजिन कहां ?

IMG 20241130 WA0079

यहां क्लिक कर हमसे व्हाट्सएप पर जुड़े 

भारतीय रेलों की ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले बेडरोल कंबलों को लेकर बीते कुछ दिनों से विवाद शुरू हो गया। कांग्रेस ने कंबल की धुलाई और साफ-सफाई को लेकर संसद भवन में सवाल किया। इसके लिखित जवाब में रेल मंत्री वैष्णव ने बताया कि ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाले कंबल महीने में कम से कम एक बार धुलाई के लिए जाते हैं। रेल मंत्री के इस बयान के बाद रेलवे की खूब फजीहत हुई। लोगों ने हाइजीन को लेकर सवाल उठाया कि एक महीने में उस कंबल को 30 पैसेंजर ओढ़ लेते हैं। अब फजीहत के बाद रेलवे ने अपना जवबा बदल लिया है। रेलवे ने जवाब दिया है कि साल 2016 से ही कंबल की सफाई महीने में दो बार की जाती है।

साफ-सफाई को लेकर रेलवे की सफाई :

यात्रियों को नई आरामदायक लेनिन की ज्यादा चौड़ी-लंबी चादर, अच्छी गुणवत्ता के साफ-सुथरे कंबल और खाने से लेकर तमाम चीजें इनमें शामिल हैं। अब रेलवे ने हर ट्रिप के बाद यूवी सेनेटाइजेशन प्रक्रिया शुरू की है। रेलवे के मुताबिक रेलवे में उपयोग होने वाले लेनिन की सफाई हर उपयोग के बाद की जाती है। लेनिन की सफाई विशेष रूप से मैकेनिकल लॉन्ड्री में होती है, जो पूरी तरह से निगरानी में होती है, जिसमें सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं और पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जाती है। इसके अलावा, समय-समय पर अधिकारियों और पर्यवेक्षकों द्वारा आकस्मिक निरीक्षण भी किया जाता है। मीटर से सफेदी की जांच करने के बाद ही लेनिन को आगे यात्रियों को दिया जाता है।

IMG 20241210 WA0016

IMG 20230604 105636 460

उन्होंने कहा, उत्तर रेलवे द्वारा गुणवत्ता सुधार के लिए नए मानक लागू किए जा रहे हैं। इस समय यह सुधार राजधानी, तेजस जैसी विशेष और प्रतिष्ठित ट्रेनों में पायलट आधार पर लागू किया जा रहा है। ये नई प्रकार की लेनिन बेहतर गुणवत्ता की हैं, इनके आकार बड़े हैं और फैब्रिक भी ज्यादा अच्छा है, जिससे यात्री बेहतर अनुभव कर सकते हैं और ज्यादा संतुष्ट हो सकते हैं। ब्लैंकेट की सफाई को लेकर साल 2010 से पहले सफाई का प्रोटोकॉल था कि उसे हर दो या तीन महीने में एक बार साफ किया जाता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया हर महीने में दो बार की जा रही है। जहां लॉजिस्टिक समस्याएं होती हैं, वहां इसे महीने में कम से कम एक बार साफ किया जाता है।

IMG 20240904 WA0139

इसके अलावा, रेलवे हर 15 दिन में नेफ्थलीन वेपर हॉट एयर क्रिस्टलाइजेशन का प्रयोग करता है, जो एक बहुत प्रभावी और समय-परीक्षित तरीका है। इस प्रक्रिया से यात्रियों को एक बेहतर सफाई और सुविधा प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा, अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यूवी सैनिटाइजेशन की शुरुआत की गई है, जिसमें हर राउंड ट्रिप पर अब ब्लैंकेट को यूवी किरणों से सैनिटाइज किया जाएगा। यह एक बहुत ही उन्नत और आधुनिक तकनीक है, जो आजकल व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही है। इस प्रयोग से मिले अनुभवों के आधार पर इसे भविष्य में अन्य ट्रेनों में भी लागू किया जाएगा।

Dr Chandramani Roy Flex page 0001 1 1 scaled

पूर्व मध्य रेल के दानापुर में 8 टन प्रतिदिन, बरौनी में 6 टन प्रतिदिन, समस्तीपुर 2 टन प्रतिदिन, सहरसा 2 टन प्रतिदिन, दरभंगा 4 टन प्रतिदिन क्षमता की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री की सुविधा उपलब्ध है तथा रक्सौल एवं जयनगर में 2 टन प्रतिदिन की क्षमता की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री लगाने के लिए कार्य किया जाता है।

Samastipur Town Adv

IMG 20240414 WA0005

IMG 20230818 WA0018 02

20201015 075150