2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में दलित वोटरों को इकट्ठा करने के लिए जदयू ने विशेष चाल चली है, खासकर तब, जब से पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एक बार फिर नीतीश कुमार का साथ छोड़ते हुए महागठबंधन से अलग हो चुके हैं. मांझी के जाने के बाद नीतीश कुमार ने एक ओर रत्नेश सदा को मंत्रिमंडल में शामिल कराया तो बिना समय गवाएं पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के पुत्र और उनके दामाद को जदयू में शामिल करा लिया. पटना में जेडीयू कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में पर्वत पुरुष दशरथ मांझी के पुत्र और उनके दामाद को पार्टी में शामिल कराया गया.
इस मौके पर नवनिर्वाचित मंत्री रत्नेश सदा भी मौजूद रहे. मिलन समारोह में भागीरथ मांझी ने कहा कि हमारे पिता को नीतीश कुमार ने बहुत मान सम्मान दिया. उनको नाम और पहचान नीतीश कुमार ने दी. मैं उनकी पार्टी में शामिल हो रहा हूं.
वहीं मिथुन मांझी ने कहा कि मांझी समाज को नीतीश कुमार ने सम्मान दिया है. जेडीयू कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में नव निर्वाचित मंत्री रत्नेश सदा ने जीतन राम मांझी पर हमला बोलते हुए कहा कि मैं कर्म के बदौलत यहां तक पहुंचा हूं लेकिन संतोष सुमन अपने पिता के नाम से मंत्री बने थे. उन्होंने समाज के लिए कुछ नहीं किया. नीतीश कुमार का प्यार मुझे और हमारे समाज को मिलते रहा है. मैंने मुसहर सम्मेलन कराया था, उससे नीतीश कुमार बहुत प्रभावित हुए थे.
मालूम हो कि बिहार विधानसभा चुनाव में भी दलित एक बड़ा फैक्टर और वोट बैंक हैं, जिन्हें हर पार्टी अपने पाले में करने का प्रयास कर रही है. महागठबंधन को छोड़ने वाले मांझी फिर से बीजेपी (एनडीए) में ही जाएंगे ये तय माना जा रहा है लेकिन देखना होगा कि वो इसका फैसला कब लेते हैं.
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