समाजवादियों के बारे में प्रचलित कहावत है। ये चार दिन अलग नहीं रह सकते और चार दिन साथ भी नहीं रह सकते। समाजवादी नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब से दिल्ली में जी20 समिट के दौरान राष्ट्रपति की मेजबानी में डिनर भोज खाकर लौटे हैं तबसे इंडिया गठबंधन में खलबली मची हुई है। एक तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश की हंसती-खिलखिलाती मुलाकात और फिर उनको अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मिलवाने की तस्वीर सामने आने से बिहार एनडीए में शामिल चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के पेट में दर्द होने लगा है। ये तीनों नीतीश विरोधी हैं और दो तो हाल में ही उनका साथ छोड़कर इधर आए हैं।
मोदी और नीतीश की दोस्ताना मुलाकात से इंडिया गठबंधन में अलग खलबली है जिसकी खीज लोग जी20 पर निकाल रहे हैं। आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने जी20 को पैसे की बर्बाद बताकर सवाल पूछा कि इससे देश के आम लोगों को क्या मिला। प्रशांत किशोर कह रहे हैं कि नीतीश के लिए इंडिया गठबंधन दरवाजा है और एनडीए एक खिड़की है। वो जहां चाहें, जा सकते हैं। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी कह रहे हैं कि बिहार में राजनीतिक भूचाल आने वाला है और आगे-आगे देखिए क्या होता है।
मांझी आगे बढ़कर कह रहे हैं कि नीतीश के पास मोदी की शरण में आने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी को लालू यादव ने दूल्हा बनवा दिया और नीतीश को संयोजक भी नहीं बनने दिया। मांझी ने कहा कि नीतीश के मन में कुछ नहीं होता तो वो दिल्ली में जी20 के भोज में नहीं जाते। नीतीश के मन की बात तो नीतीश ही जानें लेकिन उनके दिल्ली जाने और पीएम मोदी के साथ मुस्कुराने से काफी हलचल है।
बुधवार को दिल्ली में इंडिया गठबंधन के कोर्डिनेशन कमिटी की पहली मीटिंग है लेकिन नीतीश की पार्टी जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह उसमें शामिल नहीं होंगे। उनके बदले भी कोई नहीं जाएगा। पार्टी की तरफ से कहा गया है कि वो बीमार हैं। बिहार से कमिटी में दो ही नेता हैं और दूसरे नेता आरजेडी के तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंच गए हैं। ये तय है कि जेडीयू अध्यक्ष के नहीं जाने से सीट शेयरिंग पर जो भी बात कर लें, बिहार की बात ना शुरू हो पाएगी और ना ही पूरी हो पाएगी। लालू ने कल ही कहा था कि सीट शेयरिंग पर दिल्ली की मीटिंग में बात शुरू हो जाएगी। लेकिन बिना जेडीयू के बिहार में सीट का बंटवारा कैसे होगा।
बीते दिनों सीपीआई माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने अपनी सीट की डिमांड आरजेडी को सौंपी और बताया कि मुंबई में यही तय हुआ है कि हर राज्य में जो सबसे बड़ी पार्टी है, उसे ही बाकी दल अपनी मांग सौंपेंगे। तो क्या बिहार में जेडीयू को अपनी विश लिस्ट आरजेडी को देनी होगी या इन दोनों के लिए बराबरी का स्पेशल केस होगा। जो नीतीश कुमार पीएम पद की नारेबाजी को लेकर कार्यकर्ताओं को शांत करा देते थे अब उनकी पार्टी के अध्यक्ष ललन सिंह ने दो दिन पहले कहा है कि नीतीश कुमार में पीएम बनने की पूरी क्षमता है।
लालू यादव ने जब जी20 को पैसे की बर्बादी बताया तो बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव ऋृतुराज सिन्हा ने कहा कि नीतीश और पीएम मोदी के मिलने से कौन जल रहा है, ये सबको पता है। संयोग कि मोदी-नीतीश मुलाकात के अगले ही दिन केंद्र सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और दूसरी योजनाओं के लिए 1942 करोड़ का फंड जारी कर दिया।
नीतीश कुछ राजनीतिक सोच के साथ गए थे या मुख्यमंत्री के पद पर रहने के कारण एक राजनेता की तरह दिल्ली गए थे, ये तो कभी पता नहीं चल पाएगा लेकिन उनके जी20 डिनर में जाने और पीएम मोदी के साथ तस्वीरें आने से एक साथ कई निशाने सध गए हैं। एक तो राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन में आगे बढ़ाने के लिए परेशान कांग्रेस को इशारा हो गया है कि विकल्प और भी हैं। दूसरा इशारा लालू यादव को भी हो गया है कि तेजस्वी यादव का सीएम-इन-वेटिंग का इंतजार और लंबा हो सकता है अगर नीतीश को ज्यादा परेशान किया गया। राहुल गांधी को दूल्हा बताने वाले लालू यादव ने ही कहा था कि विपक्षी गठबंधन का कोई एक संयोजक नहीं होगा।
विपक्षी दलों को एकजुट करने की ज्यादातर कोशिश का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है लेकिन पटना से लेकर मुंबई तक की तीन दौर की मीटिंग में तमाम अटकलों के बावजूद उनको संयोजक नहीं बनाने की बात जेडीयू को पसंद नहीं आई। नीतीश खुद से कुछ भी कहें लेकिन जेडीयू को उम्मीद थी कि उनके नेता को उनकी मेहनत का वाजिब सम्मान मिलेगा। वो नहीं मिला। जेडीयू के नेताओं के मन में ये बात आ रही है कि लालू यादव कांग्रेस के हिसाब से चल रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी की शादी की बात उठाई और दूल्हा बताया जिसका मतलब पीएम दावेदारी निकाला गया। फिर संयोजक पर भी कांग्रेस ने नीतीश पर भरोसा नहीं किया और लालू ने भी कह दिया कि कोई एक संयोजक नहीं होगा।
जी20 में नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक शिष्टाचार मुलाकात हुई और इस दौरान दोनों नेता अच्छे मूड में कैमरे में कैद हुए। इसका ये मतलब निकालना जल्दबाजी होगी कि नीतीश गठबंधन बदलने का मूड बना रहे हैं। इंडिया गठबंधन को बनाने में वो काफी आगे निकल चुके हैं। वहां से लौटना आसान नहीं है। नीतीश इंडिया गठबंधन में पूरी तरह खुश नहीं हैं लेकिन वो इसे जाहिर भी नहीं कर रहे हैं। जहां तक हो सके वो इसका खंडन भी कर देते हैं कि वो नाराज हैं। ऐसे में इस मुलाकात से और कुछ हो ना हो इंडिया गठबंधन में उनका वजन बढ़ेगा, इसमें कोई दिक्कत नहीं है।
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